गंगूबाई काठियावाड़ी मानहानि केस की कार्यवाही पर कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक
आलिया और संजय लीला भंसाली को मिली राहत
मुंबई/दि.19 – बॉम्बे हाई कोर्ट ने ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ फिल्म से जुड़े मानहानि केस की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का निर्देश दिया है. इस खबर से आलिया भट्ट और फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली को राहत मिली है. आलिया भट्ट और संजय लीला भंसाली के खिलाफ फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के संबंध में आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसकी कार्यवाही स्थानीय कोर्ट द्वारा की जा रही थी.
इस मामले के खिलाफ आलिया और संजय के वकील द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था. 10 अगस्त को उनकी याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट द्वारा यह निर्देश दिया गया कि अगली सुनवाई होने तक यानी 7 सितंबर तक स्थानीय कोर्ट में चल रही मामले की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाई जाए. कोर्ट का यह आदेश अब सामने आया है.
एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने इस साल मार्च में आलिया भट्ट, संजय लीला भंसाली और उनकी प्रोडक्शन कंपनी भंसाली प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ समन जारी किया था. यह समन बाबूजी शाह नामक एक व्यक्ति द्वारा दायर की गई मानहानि शिकायत के आधार पर जारी किया गया था. शाह ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि वह गंगूबाई काठियावाड़ी का दत्तक पुत्र है, जिस पर आलिया भट्ट और संजय लीला भंसाली की फिल्म आधारित है.
बाबूजी शाह ने यह दावा किया था कि यह फिल्म द माफिया क्वींस ऑफ मुंबई उपन्यास पर आधारित है. शाह के मुताबिक, उपन्यास में कही गईं कुछ बातें अपमानजनक हैं, जो गंगूबाई काठियावाड़ी की छवि को धुमिल और उनकी राइट टू प्राइवेसी को खराब करती हैं. उन्होंने इस मामले को लेकर फिल्म के निर्माताओं और किताब के लेखक हुसैन जैदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इतना ही नहीं, शाह ने एक बार यह दावा भी किया था कि गंगूबाई काठियावाड़ी का नाम फिर से सामने आने के बाद उनके परिवार को लोगों के ताने और उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ रही है.
हालांकि, आलिया भट्ट, संजय लीला भंसाली और उनकी कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने कोर्ट की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि उन्हें शाह के अस्तित्व के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने 10 अगस्त को शाह को नोटिस जारी किया. इसके अलावा आलिया भट्ट और भंसाली द्वारा दायर आवेदन की सुनवाई को 7 सितंबर तक के लिए टाल दिया गया. साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाती है.
इसके अलावा हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच ने पहले ही फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. शाह ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 30 जुलाई को जस्टिस नितिन सांबरे ने अपने ऑर्डर में शाह की याचिका को खारिज कर दिया था. और कहा कि मानहानिकारक प्रकृति की कोई भी सामग्री उस व्यक्ति की मृत्यु के साथ समाप्त ही हो जाती है.