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लोगों के अंत‍िम संस्कार को करें फ्री

सोनू सूद की सरकार से ये खास अपील

नई दिल्ली/दि. 2 – कोरोना वायरस ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है. यूं तो कोरोना ने बिना अमीरी-गरीबी, उम्र देखे सभी को अपनी जद में लिया है लेक‍िन गरीब पर‍िवार इससे सबसे ज्यादा प्रभाव‍ित हुए हैं. अस्पताल ले जाने का खर्च, ऑक्सीजन, एंबुलेंस, दवा के इंतजाम से लेकर पर‍िजनों के अंतिम संस्कार तक, गरीबों के कंधे पर बहुत बड़ा बोझ बन गया है. ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की व्यवस्था के अलावा अब सोनू सूद ने इस विषय पर भी सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
सोनू ने वीड‍ियो के जर‍िए सरकार से श्मशान घाट में लोगों की अंतिम यात्रा का खर्च उठाने की अपील की है. सोनू से एक मरीज की आपबीती सुनाते हुए बात की शुरुआत की. उन्होंने कहा- ‘नमस्कार, मैं आप लोगों से एक किस्सा शेयर करना चाहता हूं. कल रात ढाई-तीन बजे तक किसी को बेड दिलाने की कोश‍िश कर रहा था, हम उसे बेड दिलाने में कामयाब हो गए, उसके बाद उस मरीज को वेंट‍िलेटर के लिए स्ट्रगल करना पड़ा, फिर लगभग सुबह साढ़े पांच-छह बजे हम उसे वेंट‍िलेटर दिला पाए लेक‍िन तब तक वो मरीज चल बसे…फिर हमारी जंग शुरू हुई उसके अंतिम संस्कार करने के लिए. जगह नहीं मिल रही थी, उनके पास पैसे नहीं थे, हमने उसके अंतिम संस्कार का भी इंतजाम किया.’
‘लेक‍िन मेरे जेहन में उस वक्त एक बात आई कि आज देश का हर एक इंसान चाहे वो बड़ा हो गरीब हो मिडिल क्लास फैमिली का हो, उसकी जंग शुरू होती है अपने घर से एक ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए, फिर बेड के लिए, वहां से आईसीयू के लिए और वहां से वेंट‍िलेटर के लिए…बहुत लोग इस जंग में हार जाते हैं, कई तो अगले स्तर पर पहुंच भी नहीं पाते हैं, और जो लोग पहुंच जाते हैं अपने आख‍िरी स्तर पर वो है श्मशान घाट, उन्हें वहां भी जगह नहीं मिलती है. बहुत लोगों के पास पैसे नहीं हैं.. हम लोग बहुत लोगों की मदद कर रहे हैं लेक‍िन फिर भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो हम तक नहीं पहुंच पाते हैं.’
‘मैं आज सभी सरकारों से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि आप एक ऐसा कानून जल्द से जल्द निकालें कि कोई भी श्मशान घाट जहां पर अंतिम संस्कार होते हैं उसका खर्चा ना लगे. करीबन तीन से साढ़े तीन हजार लोग हम हर रोज खो रहे हैं. एक व्यक्त‍ि के अंतिम संस्कार का खर्चा औसत रूप से 15 से 20 हजार का लगता है, तो लगभग 6 से 7 करोड़ का खर्चा है देशभर के अंदर. अगर सरकार ये खर्चा उठाए तो बहुत सारे पर‍िवार जिनके पास पैसे नहीं हैं, साधन नहीं है वे अपने पर‍िवार वालों के अंतिम यात्रा को आराम से कर सकते हैं.’
‘वो कहते हैं ना जो मुसीबत के समय आपके साथ खड़ा है वही सबसे बड़ा है. तो मेरी विनती है कि सरकारें जल्द से जल्द आगे आएं और ऐसा कानून लाएं जिससे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार बिना पैसे के हो, वहां पर इतनी लकड़‍ियां भर दें, सभी सामान भर दें कि किसी को कोई जरूरत ना पड़े, ये फर्क नहीं पड़ता कि उसकी क्षमता है या नहीं पर मुझे लगता है कि इस समय हम लोगों को ये करना बहुत जरूरी है, देश के अंदर वापस विश्वास जगाने के लिए उनको बताने के लिए कि हम आपके साथ हैं’.

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