41 हजार की रिश्वत लेते कार्यकारी अभियंता रोहण पाटिल गिरफ्तार

सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के विद्युत विभाग की घटना

* अमरावती में पिछले डेढ साल से पदस्थ थे पाटिल
*घुसखोरी को लेकर जमकर मिल रही थी शिकायतें
* बिना रिश्वत कोई टेंडर व बिल नहीं होता था पास
* सभी सरकारी इमारतों के इलेक्ट्रीफिकेशन काम में था हिस्सा
* डेढ साल में टेंडर व वर्क ऑर्डर के जरिए कमाए 50 से 60 करोड
* 4 से 5 बडे ठेकेदारों के साथ मिलकर चल रहा था कमाई का खेल
* जल्द ही मुंबई में प्रमोशन पर होनेवाला था तबादला, पहले ही धरे गए
अमरावती/दि. 4 – स्थानीय कैम्प रोड परिसर स्थित सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के विद्युत विभाग में कार्यरत रहनेवाले कार्यकारी अभियंता रोहण चंद्रशेखर पाटिल (35, साईनगर) को गत रोज भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग यानि एसीबी के दल ने एक शिकायतकर्ता से 41 हजार रुपए की रिश्वत स्वीकारते हुए रंगेहाथ धर दबोचा. शिकायत के मुताबिक शिकायतकर्ता व्यक्ती को मिले तीन कामों के वर्क ऑर्डर जारी करने हेतु दो प्रतिशत के हिसाब से कार्यकारी अभियंता रोहण पाटिल ने 41 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी. जिसकी जानकारी शिकायतकर्ता द्वारा एसीबी से की गई थी. पश्चात एसीबी ने पूरे मामले की पडताल करते हुए पीडब्ल्यूडी के विद्युत विभाग में अपना जाल बिछाया और कार्यकारी अभियंता रोहण पाटिल को रिश्वत की रकम स्वीकार करते हुए रंगेहाथ धर दबोचा. जिसके चलते अच्छा-खासा हंगामा व हडकंप मच गया.
जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ता व्यक्ति सरकारी ठेकेदार है, जिसे सार्वजनिक निर्माण विद्युत विभाग की ओर से बुलढाणा जिले में इलेक्ट्रीफिकेशन के काम का ठेका मिला था. जिसके लिए वह ठेकेदार सार्वजनिक निर्माण विद्युत विभाग के कार्यकारी अभियंता रोहण पाटिल से मिलने हेतु गया, तो पाटिल ने तीनों काम की ऐवज में दो फीसद के हिसाब से 41 हजार रुपए की मांग करते हुए पैसे मिलने के बाद ही वर्क ऑर्डर जारी करने की बात कही. जिसकी शिकायत संबंधित ठेकेदार ने एसीबी से कर दी. जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई हुई.
इसके साथ ही यह जानकारी भी सामने आई कि, मूलत: नाशिक के अशोक मार्ग स्थित कल्पतरु नगर निवासी रोहण पाटिल ने करीब डेढ वर्ष पहले अमरावती सार्वजनिक निर्माण विद्युत विभाग में कार्यकारी अभियंता के तौर पर काम करना शुरु किया था और इन डेढ वर्षों के दौरान कार्यकारी अभियंता पाटिल ने कभी भी बिना पैसे लिए कोई काम नहीं किया. इन डेढ वर्षों के दौरान अमरावती शहर व जिले सहित संभाग में कई सरकारी बिल्डींगों के इलेक्ट्रीफिकेशन कार्य हेतु करीब 250 से 300 करोड रुपयों के टेंडर जारी हुए और हर काम में कार्यकारी अभियंता पाटिल ने दो फीसद की दर के हिसाब से अपना कमीशन वसूला, यानि केवल अपने कमीशन और हिस्से के नाम पर ही कार्यकारी अभियंता पाटिल ने इन डेढ वर्षों के दौरान करीब 50 से 60 करोड रुपए की कमाई कर डाली. जानकारी यह भी सामने आई है कि, अमरावती के करीब 4 से 5 बडे विद्युत ठेकेदारों पर कार्यकारी अभियंता पाटिल की विशेष मेहरबानी हुआ करती थी और लगभग हर बडे काम का ठेका उन्हीं 4 से 5 खासमखास विद्युत ठेकेदारों को ही मिला करता था, जिनके जरिए कार्यकारी अभियंता पाटिल को एकमुश्त कमाई हुआ करती थी. साथ ही साथ छोटे-मोटे कामों के ठेके लेनेवाले ठेकेदारों से भी कार्यकारी अभियंता पाटिल द्वारा जमकर कमीशनखोरी की जाती थी. अपने पद और रसूख के दम पर कार्यकारी अभियंता पाटिल ने प्रशासन सहित सरकार में भी अपनी अच्छी-खासी पैट बना ली थी, ऐसी जानकारी भी सामने आई है और पता चला है कि, अपनी इसी उंची पहुंच का फायदा उठाते हुए कार्यकारी अभियंता पाटिल बहुत जल्द प्रमोशन पर मुंबई जाने की फिराक में था. लेकिन उससे पहले ही महज 41 हजार रुपए की रिश्वत स्वीकार करते हुए एसीबी के हत्थे चढ गया. जिसके बाद कार्यकारी अभियंता रोहण पाटिल का पूरा काला चिठ्ठा भी उजागर होकर सबके सामने आ गया.

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