किसानों की जमीन में फंसा फडणवीस का हाईवे

जमीन अधिग्रहण न होने से टेंडर रद्द

नागपुर /दि.17 – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बहुप्रचारित समृद्धि राजमार्ग की तर्ज पर बन रही तीन महत्वाकांक्षी राजमार्ग परियोजनाओं को किसानों द्वारा भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों के कारण बड़ा झटका लगा है. महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) ने तीन राजमार्गों – नागपुर-चंद्रपुर, नागपुर-गोंदिया और भंडारा-गढ़चिरोली के काम के टेंडर रद्द करने का फैसला किया है. तीनों परियोजनाओं का उद्देश्य विदर्भ में कनेक्टिविटी में सुधार और औद्योगिक व सामाजिक विकास की गति को बढ़ाना था. फडणवीस ने खुद इन सड़कों के महत्व को बार-बार उजागर किया था. हालांकि, किसानों की सहमति के बिना भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में देरी के कारण ये परियोजनाएं शुरुआत में ही रुकावटों के दौर में पहुंच गई हैं.

* टेंडर महंगा है, लेकिन जमीन नहीं है!
इन परियोजनाओं के लिए निविदाएं पिछले साल जारी की गई थीं. नागपुर-चंद्रपुर राजमार्ग के लिए वित्तीय बोलियां जनवरी 2025 में खोली गईं. ये बोलियां अपेक्षा से 27 प्रतिशत अधिक दर पर आईं, जबकि नागपुर-गोंदिया मार्ग के लिए बोलियां 40 प्रतिशत अधिक थी. इसके कारण आलोचना हुई कि परियोजनाओं की लागत अनुचित रूप से बढ़ गई है.

* भूमि अधिग्रहण की दुविधा
नागपुर-गोंदिया और भंडारा-गढ़चिरोली मार्गों के लिए संयुक्त सर्वेक्षण का काम शत-प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन भूमि अधिग्रहण में किसानों के असहयोग के कारण वास्तविक भूमि स्वामित्व हस्तांतरित नहीं हो पाया है. इस विरोध के पीछे मुख्य मुद्दे बाजार मूल्य से कम मुआवज़ा, उचित पुनर्वास का आश्वासन न मिलना और पारदर्शिता का अभाव माना जा रहा है. एमएसआरडीसी ने इन परियोजनाओं के लिए हुडको से लगभग 4 हजार करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया है. हालांकि, कर्ज वितरण में देरी और किसानों के विरोध के कारण, निविदाएं खुलने के बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है. इसलिए, कंपनियों को कोई कार्य आदेश जारी नहीं किया गया है. विशेष रूप से, नागपुर-चंद्रपुर राजमार्ग मार्ग को बदलना पड़ा क्योंकि टाइगर परियोजना का प्रभाव क्षेत्र और कोयला क्षेत्र इसी पर स्थित थे. इसका मतलब यह भी था कि मार्ग की पुनर्योजना का समय आ गया था.

* फडणवीस की प्रतिष्ठा पर सवाल
इन परियोजनाओं की अवधारणा फडणवीस की पहल पर अस्तित्व में आई. उन्होंने विदर्भ में समृद्धि राजमार्ग की तरह एक गतिशील सड़क नेटवर्क बनाने का संकल्प लिया था. हालांकि, किसानों द्वारा भूमि अधिग्रहण में आने वाली बाधाओं और प्रशासनिक अक्षमता के कारण, ये परियोजनाएं फिलहाल कागज़ों तक ही सीमित हैं. ऐसा लगता है कि किसानों की ज़मीन अधिग्रहित किए बिना विकास का रास्ता बनाने की कोशिशों को झटका लगा है. इसलिए, हमें विकास चाहिए, लेकिन अपनी ज़मीन पर नहीं का रुख़ अख्तियार करने वाले किसानों का विरोध फडणवीस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है.

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