बाघ के हमले से बाल-बाल बचा किसान
लोगों की चीखपुकार से डरकर भागा बाघ

* दो दिन में बाघ ने किया दो बकरियों का शिकार
* मेलघाट में हर ओर बाघ की दहशत कायम
अमरावती /दि.15 – आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के लगभग सभी आदिवासी गांवों में इस समय बाघ की अच्छी-खासी दहशत देखी जा रही है. वहीं शनिवार व रविवार को दो दिनों के दौरान टेंभ्रूसोंडा पट्टे के खेत परिसर व एक तबेले में रहनेवाली दो बकरियों की शिकार हुई है. आदिवासियों का कहना है कि, इन बकरियों को बाघ या तेंदुए द्वारा अपना शिकार बनाया गया. वहीं रविवार की शाम एक किसान बाघ का शिकार होते-होते बाल-बाल बच गया. जब उस किसान सहित उसके साथ मौजूद बच्चों की चीखपुकार को सुनकर बाघ खुद घबराकर वहां से भागा. इस घटना के चलते पूरे परिसर में अच्छा-खासा हडकंप और भय व्याप्त है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक कालापानी गांव निवासी मंगल धांडे नामक किसान रविवार की शाम 5 बजे के आसपास अपने खेत के निकट अपनी बकरियां चरा रहे थे, तभी अचानक झाडियों से निकलकर आए एक बाघ ने हमला करते हुए एक बकरी का शिकार कर डाला. इस समय मंगल धांडे के साथ मौजूद हर्ष काले, शेखर धांडे व रोशन झामरकर नामक बच्चों द्वारा चीखपुकार की आवाज को सुनकर बाघ ने अपने शिकार को वहीं पर छोड दिया और वह भागने लगा. लेकिन इस समय उसका रुख थोडी ही दूर पर मौजूद मंगल धांडे की ओर था. ऐसे में बाघ को अपनी ओर आता देख मंगल धांडे ने भी जोर-जोर से चीखपुकार मचाई, तो बाघ ने डरकर अपनी दिशा बदल ली और वह जंगल में भाग गया. चिचाटी फाटे के निकट वीर टेकडी पर घटित इस घटना की जानकारी तुरंत ही व्याघ्र प्रकल्प के अधिकारियों को दी गई. जिसके बाद वन विभाग के दल ने बाघ की तलाश करनी शुरु की.
वहीं इससे पहले शनिवार की रात चांदापुर निवासी सागर तोटे के घर के पास स्थित जानवरों के तबेले में बंधी बकरी का किसी वन्य प्राणी द्वारा शिकार किया गया. यह घटना रविवार की सुबह उजागर हुई. जिसके बाद सागर तोटे सहित गांववासियों ने दावा किया कि, इस बकरी की शिकार बाघ या तेंदुए द्वारा की गई है. इन दोनों घटनाओं के चलते मेलघाट के दुर्गम व अतिदुर्गम आदिवासी गांवों में नरभक्षी बाघ की अच्छी-खासी दहशत देखी जा रही है. वहीं व्याघ्र प्रकल्प के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा आम नागरिकों सहित बकरियों पर हमला करनेवाले बाघ अथवा तेंदुए को पकडने हेतु ट्रैप कैमरों के फूटेज खंगाले जा रहे है.





