किसान ने अपने केला बागान पर चलाया बुलडोजर

अचलपुर तहसील के जवर्डी गांव की घटना

* उत्पादन खर्च भी न निकलने से किसान बेहाल
अमरावती/दि.26 – जिले के अचलपुर और अंजनगांव सुर्जी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की जाने वाली केले की खेती इस वर्ष किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है. बाजार में तेजी से गिरते दामों के कारण किसानों को लागत भी वसूल नहीं हो रही है, जिसके चलते कई किसानों ने मजबूरी में अपनी तैयार केले की बागों पर बुलडोज़र चलाना शुरू कर दिया है. जिसके तहत अचलपुर तालुका के जवर्डी गांव के किसान मुरलीधर जयसिंगपुरे ने अपने खेत में तैयार किए गए केला बागान पर बुलडोजर चलाकर केले के सभी वृक्षों को उखाड दिया और केला बागान को नष्ट करते हुए सभी वृक्षों व फलों को कचरे के ढेर पर ले जाकर फेक दिया.
जानकारी के मुताबिक जवर्डी गांव निवासी मुरलीधर जयसिंगपुरे ने अपने खेत में केले के साढ़े पाँच हजार पौधे लगाए, जिस पर लगभग 9 लाख रुपये खर्च किया गया. इसके लिए उन्होंने 5 लाख रुपये का बैंक कर्ज भी लिया. लेकिन बाजार गिरने के कारण कापनी के दौरान उन्हें केवल 400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव मिले, जिससे कुल 3 लाख रुपये ही प्राप्त हुए. बात इतनी बिगड़ गई कि खेत से केले मुफ़्त में ले जाने के लिए भी कोई तैयार नहीं हुआ. अंततः उन्होंने अपनी पूरी केले की बाग पर बुलडोज़र चलाकर फसल को नष्ट करना पड़ा.
उल्लेखनीय है कि, पिछले कुछ महीनों से केले के बाजार में भारी मंदी देखने को मिल रही है. दिवाली के दौरान एक समय दाम 1200 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद लगातार गिरावट जारी रही और रेट हजार रुपये से नीचे पहुँच गए. कम दाम, कापनी और ढुलाई का बढ़ा खर्च, इन सबके बीच व्यापारी भी मांग नहीं है, कहते हुए कटाई करने से पीछे हट रहे हैं. परिणामस्वरूप कई किसानों की तैयार फसल खेतों में ही सड़ रही है. किसानों से व्यापारी केले को बेहद कम दामों में खरीद रहे हैं, जबकि शहर के बाजारों में पके केले अब भी 30 से 40 रुपये प्रति दर्जन की दर से बिक रहे हैं. बीच के दलालों और व्यापारियों के बढ़ते मुनाफे के बीच असली नुकसान किसान को हो रहा है. इसी आर्थिक संकट के कारण कई किसानों ने अपनी उगी हुई केले की फसल काटकर पशुओं को खिलाना शुरू कर दिया है, तो कुछ ने मशीनें चलाकर पूरी बाग ही नष्ट कर दी.
लगातार हो रही मंदी, लागत में बढ़ोतरी और बाजार में स्थिर कीमतों के अभाव के कारण किसान अब वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करने की तैयारी में जुट गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इस स्थिति को लेकर गहरा तनाव और निराशा का माहौल देखा जा रहा है.

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