विदर्भ में नहीं थम रही किसानोें की आत्महत्या
नये वर्ष में भी 70 किसानों ने लगाया मौत को गले

अकोला प्रतिनिधि/दि.१७ – विदर्भ के आत्महत्याग्रस्त 6 जिलों में किसान विविध समस्याओं से घिरे हुए है. जिसके चलते किसान आत्महत्या थम नहीं रही है. नये साल में भी किसान आत्महत्या का सिलसिला बरकरार है. जनवरी माह में तकरीबन 70 किसान आत्महत्या की घटनाएं सामने आयी है. जिसके औसत पर नजर डाले तो, दो किसान अपनी इहलिला समाप्त कर रहे है. वहीं सरकार की ओर से बीते दो दशक से किसान आत्महत्या पर नियंत्रण पाने में नाकामयाबी मिली है. केवल किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटिया सेंकने का काम किया जा रहा है. यहां बता देें कि, अनेकों विपदाओें का सामना किसानोें को करना पड रहा है. इन विपदाओं से निपटते हुए किसान कार्य कर रहे है, लेकिन कभी-कभार कुछ हालात ऐसे हो जाते है कि किसानोें को मजबूरन अपने गले में फांसी का फंदा डालना पड रहा है. विदर्भ के यवतमाल, बुलडाणा, अमरावती, अकोला, वाशिम व वर्धा इन 6 जिलोें में वर्ष 2001 से किसान आत्महत्या के जाल में फंसे हुए है. सरकार की ओर से विविध पैकेज घोषित किये गये है. किसान आत्महत्या रोकने के लिए अनेकोें उपाय योजनाएं भी की जा रही है. आत्महत्याग्रस्त जिले के नाम पर करोडों रूपये खर्च किये जा रहे है. लेकिन 20 वर्ष पहले शुरू हुआ सिलसिला अब भी बरकरार है.
वर्ष 2001 से अब तक 6 जिलों में 18 हजार 396 किसानों ने मौत को गले लगाया है. विदर्भ की स्थिति तो काफी गंभीर है. नये साल में भी किसान आत्महत्या की समस्या बरकरार है. जनवरी माह में 70 किसानों ने मौत को गले लगाया. इनमें यवतमाल जिले के सर्वाधिक 20 किसानों का समावेश है. इसी क्रम में बुलडाणा के 18, अकोला व अमरावती के 9-9, वाशिम व वर्धा जिले के 7-7 किसान आत्महत्याओं का समावेश है. वर्ष 2020 किसानों के लिए बुरा साबित हुआ. कोरोना विपदा के चलते कृषि क्षेत्र का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. लॉकडाउन में उगायी गयी फसल को खरीददार भी नहीं मिले. माटीमोल दाम में कृषि माल की बिक्री करनी पडी. किसान आत्महत्याग्रस्त 6 जिलोें में वर्ष 2020 में तकरीबन 13 साल किसानों ने आत्महत्या की है.





