अंबानगरी की फायबर लक्ष्मी मूर्तियों की बैंकॉक मार्केट में भारी मांग

30 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक बिक्री

अमरावती /दि.24 – अंबानगरी को कला की नगरी भी यूँ ही नहीं कहा जाता. जिस तरह यहां की श्री गणेश की मूर्तियों की विदेशों में मांग है, उसी तरह यहां की लक्ष्मी की मूर्तियों की भी हर साल बैंकॉक (थाईलैंड) में खूब मांग रहती है. शहर के मूर्तिकार प्रमोद जौहरे खास तौर पर लक्ष्मी की ये मूर्तियाँ बनाते हैं. उनके द्वारा बनाई गई फाइबर की मूर्तियाँ साफ-सुथरी, सुंदर और मुस्कुराते हुए चेहरे वाली होती हैं. इसलिए, पिछले कुछ सालों से ये मूर्तियाँ हर साल थाईलैंड भेजी जाती रही हैं. इन मूर्तियों की मांग हर साल बढ़ रही है.
डेढ़ से दो फीट ऊंची छोटी और पांच फीट तक ऊंची खड़ी व बैठी हुई लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग है. डेढ़ से दो फीट ऊंची सजावटी फाइबर लक्ष्मी की छोटी मूर्तियों की कीमत 30 से 35 हजार रुपये है. वहीं, 5 फीट तक की खड़ी या बैठी हुई मूर्तियों की कीमत 1 लाख से 1.30 लाख रुपए तक है. इन मूर्तियों को देखने के बाद ऐसा लगता है मानो लक्ष्मी साक्षात पद्मासन में कमल पर खड़ी या बैठी हों. ये बिल्कुल असली लगती हैं. ये मूर्तियाँ शहर के कुंभारवाड़ा स्थित हनुमान मंदिर के पास, जनता कॉलोनी में बनाई जाती हैं. मूर्तियाँ मांग के अनुसार बनाई जाती हैं. बैंकॉक में भी इनके धार्मिक महत्व के कारण, अमरावती से इनकी मांग की जाती है. मूर्तियों को थाईलैंड में साड़ियों, आभूषणों, मालाओं और गजरों से सजाया जाता है. मूर्तिकार जोहरे ने बताया कि कुछ सजावट का सामान अमरावती से भी भेजा जाता है.

* मुंबई मार्ग सेे ले जाया जाता है मूर्तियोंं को
बैंकॉक में फाइबर से बनी देवी लक्ष्मी की छोटी और बड़ी मूर्तियाँ
ऑर्डर किया जाता है. हर साल दिवाली के बाद वहाँ से मूर्तियों की माँग आती है. यह जानते हुए, मैं पहले से ही मूर्तियाँ तैयार कर लेता हूँ. ये मूर्तियाँ 10 नवंबर तक थाईलैंड भेज दी जाती हैं. इनकी अच्छी कीमत भी मिलती है.
– प्रमोद जोहरे, मूर्तिकार.

 

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