अमरावती जिले में पहला जुलूस, हिंदु-मुस्लिम एकता का प्रतिक

अंबाडा में 7 दिन का गणेश विसर्जन

अंबाडा (अमरावती)/दि.4- गांव ने एक बार फिर एक आदर्श स्थापित किया जो ’आपस में बैर न रखने की शिक्षा’ वाली कहावत को चरितार्थ करता है. 3 सितंबर को आयोजित सार्वजनिक गणेश चतुर्थी विसर्जन समारोह हिंदू-मुस्लिम एकता, सर्वधर्म शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बन गया.
यह कोई धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम अंबद्य गणेशोत्सव है, जो हिंदू एकता, सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता का उत्सव मात्र है. विसर्जन जुलूस जब स्थानीय जामा मस्जिद के पास से गुज़र रहा था, तो मस्जिद के पदाधिकारी और पूर्व पुलिस पाटिल दानिश अली पटेल और ग्राम विकास अधिकारी पवन सोमवंशी के हाथों गणेश मंडल के अध्यक्ष का शाल-श्रीफल देकर सत्कार किया गया और मंडल की ओर से मुस्लिम संत शाशर अली बाबा दरगाह पर चादर चढाई गई. इस अवसर पर पुलिस निरीक्षक राहुल आठवले उपस्थित थे. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 15 फीट से लेकर 16 फीट तक की 16 गणेश प्रतिमाएं यहां स्थापित की गईं. भंडारा, गोंदिया, तुमसर और बैतूल से बुलाई गई बैंड पार्टी, जगमगाती रोशनी, रंग-बिरंगी सजावट और पूरे गांव में उत्साह का माहौल. गांव के बाहर से भी युवा बड़ी संख्या में विसर्जन समारोह देखने आ चुके थे. पुलिस ने एक किलोमीटर पूर्व से ही बेरिकेट लगाकर पार्किंग व्यवस्था की थी. गांव के अंदर और बाहर से भी, मस्जिद को पवित्र किया गया. अंबाडा के सभी जाति-धर्मों के युवाओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर बड़ी संख्या में उपस्थित होकर एकता का संदेश देकर उत्सव को और भी रंगीन बना दिया. गौरतलब है कि प्रत्येक गणेश मंडल का आयोजन मुस्लिम समुदाय की ओर से किया गया था. अध्यक्ष का शॉल और माला पहनाकर सम्मान किया गया.
समारोह शांतीपूर्वक संपन्न करने के लिए उपविभागीय पुलिस अधिकारी संतोष खांडेकर, पुलिस निरीक्षक राहुल आठवले सहित 200 पुलिसकर्मी, राज्य रिजर्व बल और दंगा नियंत्रण दल गांव में तैनात थे. अमोल कडू, सारंग बोडस्कर, रूपेश ढोले, अज्जू सौदागर, नासिर पटेल, सैयद सैफुद्दीन, प्रमोद दवंडे, दिलीप फते आदि कार्यकर्ताओं ने विसर्जन समारोह के लिए कड़ी मेहनत की.

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