पूर्व विदर्भ के पांच हजार गांव पारंपरिक ढालपूजन के लिए तैयार
गोवारी समाज का दिवाली के पर्व पर उत्सव

* सभी गांवों में तालीम शुरु
धामणगांव रेलवे/दि.17 – चकाचका चांदणी वो गोवारीयो बिनो, गायने से कोटा भरे, घरघर देबो आशीष गा.. इस दादरे की गूंज और गोहला-गोहली का नृत्य करने के लिए विदर्भ के पांच हजार गांव ढालपूजन उत्सव के लिए तैयार हुए है. दिवाली पाडवा के दिन यह उत्सव पारंपरिक तरीके से मनाया जाएगा. पूर्व विदर्भ के गांवों में पूरी रात जागकर पूर्व तैयारी और तालीम की जा रही है.
इस बार पांच हजार गांवों में ढालपूजन उत्सव मनाया जाएगा. सुबह गांव में पशुओं को लक्ष्मी जैसे सजाया जाता है. और शाम के समय गांव में उन्हें घुमाकर पटाखों की आतिषबाजी में गाय के रंभाने तक नचाया जाता है. दो बांस पर कपडा बांधकर पुरूष ढाल यानी गोहला तो महिलाएं बढई के घर पानी पिने के लिए ढाल को ले जाने के बाद आदिवासी गोवारी बंधुओं की तरफ से अनाज इकठ्ठा करके गांव में अन्नदान किया जाता है. यह परंपरा प्राचीन काल से आदिवासी गोवारी समाज में चली आ रही है, यह जानकारी आदिवासी गोवारी युवा शक्ति संघ के कार्य अध्यक्ष नंदू सहारे ने दी.
तीन दिनों तक उत्सव
पूर्व विदर्भ के गडचिरोली, चंद्रपुर, भंडारा, नागपुर, वर्धा इन जिलावें में यह उत्सव लगातार तीन दिनों तक चलता है. इसके लिए डफली तैयार करके नृत्य प्रस्तुत करने की तालीम शुरु है. पूरी रात यह तालीम अनेक गांव में आज शुरु है.
आजादी पूर्व काल से गोवारी जनजाति आदिवासी है. हमारे आदिवासियों के इतिहास को न देखते हुए हमारे खिलाफ षडयंत्र रचा जा रहा है. हम निश्चित फिरसे आदिवासी होने की बात साबित कर दिखाएंगे. प्रत्येक समाज बंधू ढाल पूजन उत्सव मनाएं.
-सुदर्शन चामलोट, अमरावती





