नवनीत राणा के लिए पहले पति या पहले पार्टी?

अपनी ही पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ खोला मोर्चा

* पति की पार्टी के प्रत्याशी का कर रही प्रचार
* अब भाजपा के अगले कदम पर लगी सभी की निगाहें
अमरावती/दि.17- हनुमान चालीसा विवाद के जरिए ठाकरे गुट की शिवसेना से सीधी टक्कर लेने वालीं, भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अमरावती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकीं पूर्व सांसद नवनीत राणा एक बार फिर राजनीतिक सुर्खियों में हैं. लोकसभा चुनाव में मिली हार की कसक अभी पूरी तरह कम भी नहीं हुई थी कि अब महानगरपालिका चुनावों की घोषणा ने अमरावती की सियासत को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है. महानगरपालिका चुनाव को लेकर यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि नवनीत राणा इस बार अपने मूल दल ‘युवा स्वाभिमान पार्टी’ के साथ खड़ी होंगी या फिर खुद को संसदीय चुनाव हेतु टिकट देने वाली भाजपा की पार्टी लाइन का पालन करेंगी. इस राजनीतिक असमंजस को हवा दी है नवनीत राणा के एक हालिया बयान ने, जिसमें उन्होंने युवा स्वाभिमान पार्टी के एक नेता की खुले मंच से प्रशंसा की.
दरअसल, वर्ष 2017 के महानगरपालिका चुनाव में अमरावती के साई नगर प्रभाग से बीजेपी के तुषार भारतीय विजयी हुए थे. इस बार उसी प्रभाग से युवा स्वाभिमान पार्टी के सचिन भेंडे ने अपनी दावेदारी पेश की है. खास बात यह रही कि सचिन भेंडे के समर्थन में खुद बीजेपी की पूर्व सांसद नवनीत राणा खुलकर सामने आ गईं और उनके पक्ष में आक्रामक राजनीतिक ‘बैटिंग’ करती नजर आईं. नवनीत राणा के इस रुख से अमरावती में बीजेपी असहज स्थिति में दिखाई दे रही है. पार्टी का झंडा कंधे पर होते हुए भी पति रवि राणा की युवा स्वाभिमान पार्टी के संभावित उम्मीदवार सचिन भेंडे के लिए प्रचार करना और साथ ही बीजेपी के ही संभावित उम्मीदवार के खिलाफ अप्रत्यक्ष माहौल बनाना, पार्टी अनुशासन के दायरे में बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या नवनीत राणा ने पार्टी लाइन से हटकर कदम उठाया है, या फिर यह बीजेपी की स्थानीय रणनीति का हिस्सा है. एक ओर बीजेपी अमरावती महानगरपालिका पर कब्जा जमाने के लिए हर मोर्चे पर सावधानी बरत रही है, वहीं दूसरी ओर नवनीत राणा की भूमिका पार्टी के लिए सिरदर्द बनती जा रही है.
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी नेतृत्व इस मामले में क्या रुख अपनाता है, क्या नवनीत राणा को अनुशासनहीनता पर चेतावनी दी जाएगी, या फिर राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए उन्हें नज़रअंदाज़ कर संतुलन साधा जाएगा. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, इस बारे में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष तथा अमरावती के जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सीधे तौर पर प्रतिक्रिया देने बचते हुए घुमा-फिराकर यह कहा कि, विगत 15 वर्षों से विधायक रवि राणा भाजपा के साथ बने हुए है और राणा द्वारा अब तक कई चुनावों में भाजपा का समर्थन किया जा चुका है. चूंकि विधायक राणा की युवा स्वाभिमान पार्टी भी महायुति में शामिल है और अमरावती मनपा का चुनाव भाजपा द्वारा युति के तौर पर ही लडा जाएगा, यानि भाजपा व युवा स्वाभिमान पार्टी चुनाव में साथ-साथ ही रहेगे. अपने इस बयान के जरिए मंत्री बावनकुले ने अपरोक्ष तरीके से पूर्व सांसद नवनीत राणा के बयान का बचाव करने का ही प्रयास किया है.
ज्ञात रहे कि, अमरावती महानगरपालिका चुनाव का बिगुल बज चुका है और इसके साथ ही सियासी शह-मात का खेल भी शुरू हो गया है. आने वाले दिनों में नवनीत राणा की भूमिका और बीजेपी का फैसला इस चुनावी रणभूमि की दिशा तय करेगा.

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