बालक कैवल्य के कारण चार लोगों को नवजीवन

हृदय, लीवर और दोनों गुर्दे दान

* खाटिक परिवार की असाधारण उदारता
* नागपुर में दो ग्रीन कॉरिडोर
नागपुर/ दि. 31 – कभी- कभी एक सटिक निर्णय कई लोगों का जीवन बचा देता है. ऐसा ही वाकया बुधवार को नागपुर में हुआ. जहां चिमूर निवासी नितिन और मोनाली खाटिक ने अपने दस वर्ष के ब्रेन डेड पुत्र कैवल्य के अवयवदान का निर्णय किया. जिससे 4 लोगों को नवजीवन प्राप्त हुआ. कैवल्य के दोनों मूत्रपिंड और लीवर नागपुर में ही प्रत्यारोपण की राह देख रहे तीन मरीजों के काम आए. वहीं हृदय को चैन्नई भेजा गया. जहां सफल प्रत्यारोपण किया गया. डीसीपी ललित मतानी के मार्गदर्शन में दो ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हर अंग को सावधानी से समय पर अस्पतालों में चिकित्सकों के पास पहुंचाया गया. नागपुर से चार्टर्ड फ्लाइट न मिलने से भोपाल से हेलीकॉप्टर का प्रबंध किया गया. जो कैवल्य का दिल लेकर चैन्नई हेतु उडा.
बताया गया कि चिमूर के मूूल निवासी नितिन और मोनाली खाटिक पेशे से इंजीनियर है और नौकरी के कारण ठाणे में रहते हैं. उनकी इकलौती संतान कैवल्य की तबियत अचानक बिगडी. ठाणे के अस्पताल में उसे दाखिल किया गया. वहां उपचार पश्चात नागपुर के न्यू इरा अस्पताल में लाया गया. 19 दिनों तक उपचार के बावजूद कैवल्य को डॉक्टर्स ने बे्रन डेड घोषित कर दिया. ऐसे मेें डॉ. अश्विनी भोयर ने खाटिक दंपत्ति को अवयव दान के लिए मनाया. नागपुर विभागीय प्रत्यारोपण समिति जेडटीसीसी की पहल से 10 वर्षीय कैवल्य के माता-पिता ने अपने बेटे की मृत्यु पश्चात उसका अवयवदान करने का साहसी निर्णय किया.
इस अवयव दान को सफल बनाने में जेडटीसीसी नागपुर की पूरी टीम अध्यक्ष डॉ. संजय कोलते, सचिव डॉ. राहुल सक्सेना, समन्वयक दिनेश मंडपे ने अहम भूमिका निभाई. यह नागपुर क्षेत्र की 178 वीं मरणोपरांत अवयव दान प्रक्रिया थी. इस वर्ष का यह 9 वां केस हैं. जब न्यू ईरा हॉस्पिटल में कैवल्य की अंतिम विदाई हुई. तो स्टाफ ने मानवीय श्रध्दांजलि दी. ऑनर कोरिडोर बनाकर उसके नन्हें शरीर को विदा किया गया. बाद में उसे चंद्रपुर के साईनगर वडाला (चिमूर) गांव में नि:श्ाुल्क एम्बुलेंस से पहुंचाया गया.
कैवल्य का दिल चैन्नई की 7 वर्षीय बच्ची पर प्रत्यारोपण किया गया. दोनों किडनिया नागपुर एम्स के 16 और 17 साल के दो किशोरो को प्रत्यारोपित की गई. कैवल्य का लीवर 31 वर्षीय महिला पर प्रत्यारोपित किया गया.

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