विधिविधान से घटस्थापना और ध्वजारोहण, या देवी सर्वभूतेषू शक्ति रुपेण संस्थिता…

एकवीरा देवी में सौम्या शर्मा चांडक, शैलेष वानखडे दंपति ने किया पूजन

* अंबादेवी में डॉ. पांढरीकर और कर्वे दंपति के हस्ते अनुष्ठान
* शारदीय नवरात्री उत्सव की शुरुआत जोरदार
अमरावती /दि.22- शहर के सबसे बडे उत्सव शारदीय नवरात्री का मंगल प्रारंभ आज तडके सवा चार बजे अंबामाता की पूजा, अर्चना, अभिषेक, ध्वजारोहण से हुआ. उपरांत भाविकों के लिए देवी के दिव्य दर्शन सुलभ किए गए. पूजा विधि में अंबादेवी संस्थान के सचिव डॉ. जयंत पांढरीकर, रवींद्र कर्वे ने सहधर्मिणी बडे ही उत्साह और आस्थापूर्वक भाग लिया. मंत्रौच्चार योगेश जोशी, कुमार लेंघे, मिलिंद देवघरे, विनोद जोशी, गोवर्धन पुराणिक ने किया. संपूर्ण परिसर देवी के परंपरागत मंत्रों और जयकारों से गूंज उठा था. उसी प्रकार मंदिर बढती भाविकों की संख्या ने अंबामाता का गगनभेदी जयकारा लगाया, माता रानी की ओर फूल उछाले गए. वहीं ओटी अर्थात देवी की गोद भरने के लिए भी सबेरे 7 बजे ही कतारे लगनी शुरु हो गई थी. महिला और पुरुष भाविकों के लिए अलग-अलग दर्शन व्यवस्था और कतारे है. जिससे मिनटों में हजारों दर्शनार्थी अंबामाता के दर्शन सुलभ कर पा रहे हैं.
* एकवीरा देवी में सौम्या शर्मा चांडक ने लहराया ध्वज
बडी माता कहलाती एकवीरा देवी संस्थान में ध्वज पूजन मनपा आयुक्त और प्रशासक सौम्या शर्मा चांडक, बिल्डर शैलेष वानखडे, देविका वानखडे, संस्थान सचिव चंद्रशेखर कुलकर्णी, स्वाती कुलकर्णी के हस्ते पुरोहितों के मंत्रोच्चार के साथ किया गया. आयुक्त सौम्या शर्मा ने एकवीरा देवी की गोद भी भरी. सुहाग की समस्त वस्तुएं माता रानी के चरणों में श्रद्धापूर्वक अर्पित की. नरहरी पुराणिक, विशाल देशपांडे, दीपक पाठक ने मंत्रोच्चार किए. देवी सूक्त पाठ के साथ दुर्गा सप्तशती के अनेक श्लोकों का सुक्ष्म उच्चारण किया गया. इस समय संस्थान अध्यक्ष डॉ. अनिल खरैय्या, अंबादेवी संस्थान के सुरेंद्र बुरंगे, रवींद्र कर्वे आदि भी उपस्थित थे. पूर्व नगरसेविका स्वाती कुलकर्णी ने देवी के आशीर्वाद स्वरुप सौम्य शर्मा चांडक मैडम को साडी-चोली से उनका सत्कार किया. उल्लेखनीय है कि, एकवीरा देवी मंदिर में शारदीय नवरात्र महोत्सव उपलक्ष्य कीर्तनकार मुकुंदबुवा देवरस (नागपुर) और विशेष वारकरी कीर्तन अविनाश महाराज रोडे के रखे गए है. रोज षोडशोपचार पूजा, श्रृंगार आरती, श्वासत पूजा, कुकुमार्चन के साथ सभी 10 दिन महिला भजन मंडलों के भजनों का आयोजन सुबह 6 से रात्री तक किया गया है. अनेकानेक भजन मंडलों का सहकार्य प्राप्त है. शारदीय नवरात्री उत्सव अंतर्गत एकवीरा देवी का स्वरुप निखर आया है, जिसके दर्शन कर भाविक धन्य हो रहे है. एक बार पुन: स्मरण करा दें कि, एकवीरा संस्थान में संपूर्ण नवरात्री दौरान दोपहर 12 से 2.30 बजे तक निशुल्क भोजन प्रसादी हजारों भाविकों को आज पहले दिन से उपलब्ध करवाई गई है. संस्थान के अन्न क्षेत्र प्रसादालय की चारों मंजिल पर यह भोजन व्यवस्था रहने की जानकारी प्रबंधक शरद अग्रवाल ने अमरावती मंडल को दी. उन्होंने बताया कि, प्रसादी के लिए ऐच्छीक 50 रुपए की पावती भी ली जा सकती है. यह भी बताया कि, 28 सितंबर को विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति द्वारा सुबह 11 बजे से दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन रखा गया है.
* बढीया इंतजाम, सजा मेला
अंबामाता और एकवीरा देवी संस्थान ने प्रति दिन आनेवाले हजारों भाविकों की खातिर सुंदर एवं व्यवस्थित दर्शन व्यवस्था रखी है. जिसके तहत व्यापक बैरिकेटिंग करने के साथ सैकडों सीसीटीवी इंस्टॉल किए गए हैं. अंबामाई के लिए गोदभराई की सामग्री लानेवाले भाविक अलग स्पेशल कतार से प्रवेश कर सकते हैं. सचिव डॉ. जयंत पांढरीकर ने बताया कि, तडके 5 से रात 12 बजे तक मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खुला है. वहीं एकवीरा संस्थान के सचिव शेखर कुलकर्णी ने बताया कि, दोपहर के भोजन प्रसादी का भक्त निशुल्क लाभ ले सकते हैं. उसी प्रकार केवल रात्री 12 से 3 बजे तक दर्शन बंद रहेंगे अर्थात 21 घंटे तक अगले 10 दिन भाविक एकवीरा माता के दर्शन कर सकते हैं, उन्हें पुष्प अर्पित कर सकते हैं. सुबह और रात्री में होनेवाली आरती में भी सहभागी हो सकते हैं.
* सजा मेला, लगे स्वागत द्वार
अंबा और एकवीरा माता के दर्शनार्थ लाखों भाविक रोज उमडते हैं. इस बार 10 दिनों की नवरात्रि रहने से श्रद्धालुओं का उत्साह बढ गया है. उधर गांधी चौक से राजकमल तक मेला सज रहा है. नेताओं के स्वागत द्वार लग गए हैं. जबकि महापालिका ने आज सोमवार को स्वागत द्वार की नीलामी का दावा किया था. महापालिका ने मेले में 150 दुकाने अस्थायी तौर पर आवंटित की है. अगले दो-तीन दिनों में नवरात्रि उत्सव परवान चढेगा.
* कालीमाता मंदिर और देवी मंदिरों में भीड
कुलस्वामिनी अंबामाई के अलावा महाकाली माता, कालिका माता मंदिरों में भी आज सबेरे से दर्शनार्थी उमडे है. सर्वत्र माता का जयकारा बुलंद हैं. उधर पंडालों में गाजेबाजे के साथ भक्त देवी प्रतिमाओं की आस्थापूर्वक प्रतिष्ठापना कर रहे हैं. जिससे भी सभी गली और प्रमुख बस्तीयों में माता रानी के मंत्र और जयकारे सुनाई पड रहे है. गुलाल उछालते हुए ढोल-ताशे के निनाद में थिरककर बालगोपालों से लेकर वरिष्ठ तक दुर्गा माता के आगमन का उत्सव मना रहे हैं.

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