टीईटी को लेकर हुए संभ्रम को दूर करे सरकार

मरा. शिक्षक परिषद का सीएम के नाम जिलाधीश को ज्ञापन

अमरावती / दि. 16 -केन्द्र सरकार के आरटीई कानून पर राज्य में 1 अप्रैल 2010 से अमल हुआ है. जिसके पश्चात राज्य सरकार ने भी साल 2012 में उसे मान्यता प्रदान की. केन्द्र सरकार ने 23 अगस्त 2010 व 29 जुलाई 2011 को अधिसूचना जारी कर कक्षा 1 से 8 तक की कक्षाओं को पढानेवाले शिक्षकों के लिए शैक्षणिक व व्यवसायिक पात्रता के साथ टीईटी अनिवार्य किया था. निजी स्कूल कर्मचारी नियमावली 1981 की अनुसूची में शासन निर्णय 7 फरवरी 2019 अनुसार सुधार किए गये इस कारण अब इन शिक्षकों को डीएड व बीएड के साथ टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य हुआ है. 13 फरवरी इस आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था. 1 सितंबर को जारी फैसले से अब इन शिक्षकों में फिर एक बार नाराजगी दिखाई देने लगी है. अदालत के फैसले के बाद टीईटी को लेकर अत्याधिक संभ्रम निर्माण होने लगा है. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टीईटी शिक्षकों में निर्माण हो रही नाराजगी को दूर करने शासन द्बारा तत्काल उपाय योजना करने की गुजारिश मरा. शिक्षक परिषद ने की है.

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