हरी मिर्ची के दाम धडाम
ढाई हजार रूपए प्रति क्विंटल

* उत्पादक के साथ व्यापारी भी परेशान
राजुरा बाजार/ दि. 15 – सोयाबीन और कपास के अतिवृष्टि के कारण खराब होेने की खबरों के बीच हरी मिर्च के मार्केट से भी उत्पादकों के लिए खबर अच्छी नहीं है. पिछले वर्ष 11 हजार प्रति क्विंटल रही मिर्च को इस बार मार्केट में 3 हजार का भी भाव नहीं मिल पा रहा है. जबकि उत्पादकों की परेशानी इसलिए भी बढ गई है कि उसे अधिक समय तक सहेज कर नहीं रखा जा सकता. उधर मिर्ची व्यापारी का कहना है कि आवक और मांग में काफी अंतर रहने से इस बार किसानों के लिए मिर्च उत्पादन घाटे के सौदा रहा है.
उत्पादकों मेें नाराजगी
वरूड और मोर्शी तहसील में मिर्च का रकबा बढा है. कई किसान लाल और अन्य मिर्च की तुलना में हरी मिर्च पर जोर दे रहे हैं. मार्केट में नया माल आते ही भाव नहीं होने से उत्पादकों में निराशा और नाराजगी है.
राजुरा मार्केट में रोज 20 गाडियां
मोर्शी, आर्वी, आष्टी शहीद, चांदुर बाजार, पांढुर्णा से रोज 14 से 20 मिर्च गाडियों की आवक प्रसिध्द राजुरा बाजार के मिर्च मार्केट में हो रही है. गत महीने भर से मिर्च के दाम 2 हजार से 2800 रूपए प्रति क्विंटल पर स्थिर है. ऐसे में किसानों का लागत खर्च भी निकलना मुश्किल है. मिर्च परिपक्व हो जाने पर उसे पौधों पर भी अधिक समय तक नहीं रखा जा सकता. लाल होने से पहले उसे तोडकर बाजार में बेचना पडता है. रेट न मिलने से मिर्च उत्पादक किसान परेशान हो गये हैं.
मजदूर भी नहीं मिलते
चिंचरगव्हाण के मिर्च उत्पादक अर्जुन राउत ने बताया कि मिर्च उंगाना खर्चीला हो गया है. मजदूरों की बडी किल्लत है. प्रति किलो 12-14 रूपए केवल तोडने के देने पडते हैं. जिससे 400 रूपए रोज मजदूर ले जाते है. मार्केट में बेभाव मिर्च बेचनी पड रही है. जबकि कम से कम 40 रूपए किलो का रेट मिर्च को मिलने की अपेक्षा राउत ने व्यक्त की. अधिकांश कृषक मिर्च उगाकर अब परेशानी में घिर आए हैं. उन्होंने शासन प्रशासन के हस्तक्षेप की अपेक्षा व्यक्त की है.





