आखिर कैसे हुआ भाजपा व शिंदे सेना का मनोमिलन

नप चुनाव के समय दोनों दलो में थी फूट, मनपा चुनाव के लिए बन रही एकता

* शिवसेना-भाजपा के समझौते की ‘इनसाइड स्टोरी’
मुंबई/दि.12- नगरपालिका और नगर परिषद चुनावों में शिवसेना तथा भाजपा के बीच पैदा हुए मतभेद और मनभेद अब दूर होते दिखाई दे रहे हैं. आगामी महापालिका चुनावों को ध्यान में रखते हुए दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति बना ली है. ऐसे में अब यह जानना रोचक है कि, अभी हाल-फिलहाल ही जबरदस्त तनातनी में दिखाई दे रहे दोनों दलों के बीच आखिर मनोमिलन कैसे होने जा रहा है.
बता दें कि, नप चुनाव के समय स्थानीय स्तर पर उम्मीदवार चयन, गुटबाजी, और संगठनात्मक प्रतिस्पर्धा के कारण दोनों पार्टियों में तनाव पैदा हुआ था. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चव्हाण द्वारा किए जा रहे लगातार शिंदे सेना के पदाधिकारियों को भाजपा में शामिल करने हेतु शुरु किए गए अभियान से यह नाराज़गी और बढ़ गई थी, जिसकी चिंगारी कल्याण-डोंबिवली महापालिका तक पहुँच गई थी. शिवसेना ने तीखी नाराज़गी जताई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सीधे गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर समाधान की पहल की. इसके बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ चर्चा कर विवाद सुलझाने की अपेक्षा व्यक्त की. इसके साथ ही नागपुर में चल रहे राज्य विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, चंद्रशेखर बावनकुले और रविंद्र चव्हाण की बैठक हुई. इस बैठक में दोनों दलों ने महापालिका चुनाव एक साथ लड़ने की घोषणा की. जिसके अगले ही दिन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने दिल्ली जाकर अमित शाह से चर्चा की और बाद में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात कर बताया कि लगभग सभी महापालिकाओं में गठबंधन होकर चुनाव लड़े जाएंगे.
* नगर परिषदों-नगरपालिकाओं के विवाद अब खत्म होंगे?
पिछले कुछ दिनों में दोनों दलों के बीच बढ़ती कटुता कम करने के प्रयास तेज हो गए हैं. राजनीतिक क्षति की भरपाई और महायुती की एकता का संदेश देने के लिए कई स्तरों पर बैठकें हुईं. विरोधियों को मौका न देते हुए महापालिकाओं पर मजबूत पकड़ बनाने के उद्देश्य से यह समझौता किया गया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर परिषद और नगरपालिकाओं के दौरान भड़के विवाद, महापालिका चुनाव की इस नई एकता में पूरी तरह खत्म होते हैं या नहीं.

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