रेंटल पंजीयन नहीं किया तो किरायेदार और मकान मालिक पर लगेगा जुर्माना

केंद्र सरकार ने नया रेंटल एग्रीमेंट एक्ट किया लागू

अमरावती/दि.6 – केंद्र सरकार ने नया रेंटल एग्रीमेंट एक्ट 2025 लागू कर दिया है. इस नए नियम से मनमाने ढंग से किराया बढाने, अधिक सिक्योरिटी डिपॉजिट और एग्रीमेंट दस्तावेजों से छेडछाड जैसी चीजों पर लगाम लगेगी. सरकार नए किरायेदारी समझौता नियम 2025 लेकर आई है. यह बदलाव मॉडल टेनेंसी अ‍ॅक्ट और कुछ नए प्रावधानों के तहत किया गया है. इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है.
* विवाद कम होगा
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नया किरायेदारी समझौता 2025, किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच एक विश्वास-आधारित किरायेदारी व्यवस्था बनाएगा. उनके बीच विवाद कम होंगे. इस कानून से दोनों को राहत मिली है.
*पंजीकरण न कराने पर 5,000 रुपये का जुर्माना
अगर रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं है, तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यह नियम मकान मालिक और किरायेदार दोनों पर लागू होता है. यानी अगर दोनों लापरवाही बरतते हैं, तो उन पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
* डिपॉजिट के तौर पर केवल दो महीने का किराया
अब, आवासीय क्षेत्र में स्थित मकान के लिए मालिक दो महीने के किराए के बराबर जमा राशि ले सकता है. मकान मालिक किरायेदार से तुरंत घर खाली करने के लिए नहीं कह सकता. इसके लिए उसे नोटिस देना होगा. किरायेदार दोनों के समन्वय से एक निश्चित दिन पर घर खाली कर सकेगा.
* विवाद का समाधान 60 दिनों के भीतर
किराया न्यायाधिकरण को किरायेदारी विवादों का निपटारा 60 दिनों के भीतर करना होता है ताकि किरायेदारों को शीघ्र न्याय मिल सके. मकान मालिक अपनी इच्छा से किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकता.
* जिले में लाखों किरायेदार
अमरावती शहर सहित जिले के कई अर्ध-शहरी इलाकों में लाखों लोग किराए पर रहते हैं. शहर में सरकारी कर्मचारियों और छात्रों की संख्या ज्यादा है. हालांकि, किराये के समझौते बहुत कम हैं.
* कैसे पंजीकृत करें?
किराया/लीज एग्रीमेंट तैयार करना और उसे नजदीकी सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करवाना जरूरी है. किराया एग्रीमेंट पंजीकृत करने से भविष्य में होने वाले विवादों में दोनों पक्षों के अधिकारों की कानूनी सुरक्षा होती है.
* सालोंसाल चलते है विवाद
किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद सालों-साल चलते रहते हैं. कोई भी पक्ष पीछे नहीं हटता. लेकिन अब किरायेदारी विवादों के लिए विशेष अदालतें और न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं.

अब, अगर किरायेदार और मकान मालिक रेंटल एग्रीमेंट तो कर लेते हैं, लेकिन उसे सरकार के पास पंजीकृत नहीं कराते, तो दोनों को भारी आर्थिक नुकसान होगा. अब, इस रेंटल एग्रीमेंट को हस्ताक्षर करने के दो महीने के भीतर पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया है.
-एड. धीरज वानखडे

 

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