31 दिसंबर तक चित्रा चौक उडानपुल का काम नहीं हुआ पूरा, तो ‘कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट’

नागपुर हाईकोर्ट ने लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को दी सख्त ताकिद

* पीडब्ल्यूडी ने हाईकोर्ट में पेश किया था हलफनामा, हाईकोर्ट ने हर महिने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दिया है निर्देश
अमरावती/दि.25 – कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख द्वारा स्थानीय इतवारा बाजार के उपर से होकर गुजरनेवाले चित्रा चौक-नागपुरी गेट फ्लाईओवर का निर्माण विगत 7-8 वर्षों से अधर में पडा रहने को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने बेहद कडा रुख अपनाया है और सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए है कि, अब इस फ्लाईओवर का निर्माण हर हाल में 31 दिसंबर 2025 तक पूरा किया जाए. साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, यदि 31 दिसंबर तक इस फ्लाईओवर का निर्माण पूरा नहीं होता है, तो संबंधित अधिकारियों को ‘कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट’ यानि अदालत की अवमानना जैसी कार्रवाई का सामना करना पडेगा.
बता दें कि, पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख द्वारा दायर जनहित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने लोकनिर्माण विभाग को कडी फटकार लगाते हुए हलफनामा पेश कर अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. चित्रा चौक से पठान चौक व वलगांव रोड की ओर जानेवाले उडानपुल के काम में 7 वर्षों का विलंब होने को लेकर हाईकोर्ट द्वारा कडी फटकार लगाए जाने के बाद सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने हाईकोर्ट में प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करते हुए 31 दिसंबर 2025 तक इस उडानपुल का काम पूरा करने का आश्वासन दिया. मुख्य अभियंता के इस आश्वासन को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि, अब इस काम को पूरा करने हेतु कोई समयावृद्धि नहीं दी जाएगी. साथ ही साथ हाईकोर्ट ने फ्लाईओवर के काम की प्रगति रिपोर्ट भी प्रति माह प्रस्तुत करने का निर्देश पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता के नाम जारी किया.
ज्ञात रहे कि, अमरावती में चित्रा चौक से पठान चौक व वलगांव रोड की ओर जानेवाले उडानपुल का काम विगत 7 वर्षों से आधा-अधूरा पडा हुआ है. जिससे नागरिकों को अच्छी-खासी असुविधाओं व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. जिसके चलते पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी. जिस पर गत रोज न्या. अनिल किलोर व न्या. अजीत कडेठाणकर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई के समय अदालत ने सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के कामकाज को लेकर कडी नाराजगी जताई थी और 7 वर्ष का समय बीत जाने के बावजूद फ्लाईओवर का काम पूरा नहीं होने पर आश्चर्य जताते हुए सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग को कडी फटकार भी लगाई थी. हाईकोर्ट ने सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग से साफ शब्दों में पूछा था कि, फ्लाईओवर के निर्माण में बार-बार व पूरी तरह असफल रहने के बावजूद भी उसी ठेकेदार को कायम क्यों रखा गया और उसे दिया गया ठेका रद्द क्यों नहीं किया गया. साथ ही भीडभाड वाले परिसर में इतने लंबे समय से आधे-अधूरे पडे निर्माणकार्य के चलते लोगों को हो रही समस्याओं व दिक्कतों की अनदेखी क्यों की गई.
यहां यह उल्लेखनीय है कि, इस फ्लाईओवर के निर्माण में हुए विलंब को लेकर अपना पक्ष रखते हुए सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा कहा गया था कि, फ्लाईओवर का निर्माणकार्य जारी रहने के दौरान कोविड संक्रमण व लॉकडाऊन वाला दौर भी आया था. जिसके चलते कामकाज लंबे समय तक ठप रहा. साथ ही जिस परिसर से होकर यह फ्लाईओवर गुजरता है, उस परिसर में काफी अधिक भीडभाड रहती है. जिसके चलते इस काम में थोडा विलंब हुआ, परंतु अदालत ने इस युक्तिवाद को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि, हर विलंब के लिए कोविड की वजह को आगे नहीं किया जा सकता और संबंधित परिसर में रहनेवाली भीडभाड का बहाना भी नहीं बनाया जा सकता. क्योंकि काम शुरु करने से पहले भी लोकनिर्माण विभाग सहित ठेकेदार को यह पता रहा होगा कि, उस परिसर में हमेशा ही भीडभाड रहती है. जिसका आकलन करने के बाद ही काम शुरु करते हुए उसे पूरा करने की समयावधि तय की गई होगी. परंतु उस समय के बाद करीब 5 वर्ष बीत चुके है और अब भी इस फ्लाईओवर का काम अधूरा पडा है. जिसके लिए पूरी तरह से सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग एवं संबंधित ठेकेदार की लापरवाही व लेटलतिफी को जिम्मेदार माना जा सकता है.
इसके साथ ही अदालत ने सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग को अगले तीन माह के भीतर इस फ्लाईओवर के काम को पूरा करने का निर्देश दिया. जिसके बाद गत रोज हुई सुनवाई में सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने हाईकोर्ट के समक्ष हलफनामा पेश करते हुए आश्वासन दिया कि, इस फ्लाईओवर का काम 31 दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा. जिस पर अदालत ने कहा कि, इस फ्लाईओवर का काम 31 दिसंबर तक हर हाल में पूरा हो जाना चाहिए, क्योंकि अब इस काम के लिए कोई अतिरिक्त समयावृद्धि नहीं दी जाएगी. साथ ही अदालत ने प्रति माह 10 तारीख को अपने समक्ष फ्लाईओवर के काम की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया.
उल्लेखनीय है कि, चित्रा चौक से इतवारा बाजार होते हुए नागपुरी गेट की ओर जानेवाला रास्ता हमेशा ही काफी भीडभाड से भरा रहता है और इस रास्ते पर हमेशा ही ट्रैफिक जाम की समस्या रहने के साथ-साथ आए दिन कोई न कोई हादसे भी घटित हुआ करते है. जिसके चलते राज्य सरकार ने इस रास्ते पर उडानपुल बनाने का निर्णय लिया था और इस काम का जिम्मा चाफेकर कंस्ट्रक्शन कंपनी को सन 2018 में दिया गया था. इस उडानपुल का काम 3 जनवरी 2020 तक पूरा होना अपेक्षित था, परंतु कार्यारंभ आदेश की तारीख के बाद लगभग 7 वर्ष की समयावधि बीत जाने के बावजूद इस उडानपुल का काम पूरा नहीं हो पाया है. जिसके चलते चित्रा चौक से इतवारा बाजार होते हुए नागपुरी गेट की ओर जानेवाले रास्ते पर यातायात की समस्या और भी अधिक बिकट हो गई है. साथ ही परिसरवासियों को पहले की तुलना में कहीं अधिक समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस नेता व पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने अपने वकील एड. शाहू चिखले के जरिए मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है. जिस पर लगातार सुनवाई जारी है.

* हाईकोर्ट को करना पड रहा जनप्रतिनिधियों का काम
इस पूरे मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, इस फ्लाईओवर के आधे-अधूरे काम से जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति घोर उदासीनता, नौकरशाही की गैरजिम्मेदारी तथा ठेकेदार की मनमानी उजागर हुई है. साथ ही आज के अत्याधुनिक दौर में जहां एक से बढकर एक उन्नत तकनीकी उपलब्ध है. ऐसे समय इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य 7-8 वर्षों से आधा-अधूरा पडा रहना समझ से परे है. इस बात की ओर जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों का ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी था. परंतु जो काम जनप्रतिनिधियों को करना चाहिए, वह काम आम जनता और अदालत को करना पड रहा है, यह अपने-आप में विचारणीय स्थिति है.                                                                                                                                                                          * दिनरात करना पडेगा काम, दोनों ओर के रास्ते होंगे बंद
– हाईकोर्ट ने जिलाधीश, मनपा आयुक्त व पुलिस आयुक्त को भी दिए निर्देश
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने चित्रा चौक से नागपुरी गेट और वलगांव की ओर जानेवाले उडानपुल के निर्माण में इस परिसर में रहनेवाली भीडभाड को सबसे प्रमुख बाधा बताया था और इस काम को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग भी की थी. लेकिन अदालत ने 31 दिसंबर 2025 की अंतिम डेडलाईन तय करने के साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि, इसके बाद कोई अतिरिक्त समयावृद्धि नहीं दी जाएगी. ऐसे में अब सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग को इसी अवधि के भीतर इस फ्लाईओवर का बचाखुचा काम पूरा करना होगा. इसके लिए हाईकोर्ट ने अमरावती के जिलाधीश सहित मनपा आयुक्त व पुलिस आयुक्त के नाम निर्देश जारी करते हुए साफ तौर पर कहा कि, संबंधित महकमों द्वारा इस काम को तय समय के भीतर पूरा कराने हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाए जाए. जिसका सीधा मतलब है कि, आगामी 4 माह के भीतर इस फ्लाईओवर के बचे हुए निर्माणकार्य को पूरा करने के लिए दिनरात काम किया जाएगा और संभवत: इसके लिए चित्रा चौक से नागपुरी गेट परिसर की ओर जानेवाली सडक पर यातायात को अंशत: या पूर्णत: रोका भी जा सकता है.
* लेटलतिफी के साथ ही 20 करोड रुपयों के अतिरिक्त खर्च पर भी हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
ज्ञात रहे कि, चित्रा चौक से नागपुरी गेट व वलगांव रोड की ओर जानेवाले फ्लाईओवर का कार्यरंभ आदेश 4 जनवरी 2018 को जारी हुआ था और इस फ्लाईओवर का निर्माणकार्य जनवरी 2020 तक पूरा होना अपेक्षित था. जनवरी 2020 में ठेकेदार द्वारा फ्लाईओवर का निर्माण पूरा कर इसे सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के सुपूर्द किया जाना था. जिसके बाद इसे आम लोगों की आवाजाही के लिए खोला जाना था. परंतु जनवरी 2020 के बाद साढे 5 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इस फ्लाईओवर का निर्माण आधा-अधूरा ही पडा हुआ है. साथ ही साथ इस फ्लाईओवर की मूल लागत 60 करोड रुपए तय की गई थी, परंतु अब तक इस फ्लाईओवर के निर्माण पर 80 करोड रुपए खर्च हो चुका है तथा शेष बचे हुए निर्माणकार्य पर भी अच्छा-खासा पैसा खर्च होना है. जिसके चलते फ्लाईओवर के निर्माण में हुई लेटलतिफी के साथ-साथ इस निर्माणकार्य पर हुए अतिरिक्त खर्च को लेकर भी हाईकोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है.

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