सरकारी घोषणा पर अब अमल शुरू, खाते में सहायता हो रही जमा
खेती किसानी के नुकसान के मुकाबले अत्यल्प मदद

* बची तहसीलों के नये प्रस्ताव भेजे गये
* संतरा और सोयाबीन का हुआ है सर्वाधिक नुकसान
अमरावती/ दि.23-दिवाली से पहले किसानों को मदद सीधे खाते में पहुंचाने का सरकार का ऐलान आखिर पूरा नहीं हो सका. कार्यालयीन प्रक्रिया में अटकी सरकारी मदद आज से जिले के कुछ मंडलों के किसानों के खाते में पहुंचना शुरू होने की जानकारी सूत्रों ने दी. उन्होंने बताया कि अनेक तहसीलें अतिवृष्टि की क्षतिपूर्ति से बाहर रखी गई थी. उनके विषय में नये प्रस्ताव शासन को भेज दिए गये हैं. महकमे के एक अधिकारी ने दावा किया कि पहले घोषित तहसीलों के पीडित किसानों को कल शुक्रवार 24 अक्तूबर तक सहायता खाते में पहुंच जायेगी. तथापि उन्होंने नामोल्लेख करने से मना किया. उधर कृषि अधीक्षक राहुल सातपुते से बात नहीं हो सकी.
अतिवृष्टि और लगातार बारिश
अतिवृष्टि और सतत बरसात के कारण जिले के लगभग सभी मंडलों में खेती किसानी का काफी नुकसान हुआ. नकद फसल कही जाती सोयाबीन और संतरा उत्पादकों का बेहिसाब नुकसान होने से किसान परेशान और हताश होकर आत्मघात कर रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री ने दिवाली से पहले सहायता का वचन दिया था. लक्ष्मीपूजन तक सहायता किसानों के खाते में सरकार के लाख दावों के बाद भी न पहुंची थी.
संभाग में हालात खराब
पश्चिम विदर्भ अर्थात अमरावती संभाग में खेतीबाडी की हालत चिंताजनक रहने से सरकार ने करीब 3 लाख किसानों को तात्कालीक सहायता के रूप में 462 करोड की घोषणा कीे. घोषणा को सप्ताह भर होने आया. अब तक किसानों के बैंक खातों में रकम जमा नहीं हो पायी थी. आज कुछ मंडलों के किसानों के खाते मे सहायता राशि आना प्रारंभ हो गया है. ऐसा दावा एक अधिकारी ने आज दोपहर अमरावती मंडल से बातचीत में किया.
मोर्शी, वरूड, नेर, रिध्दपुर, बेनोडा
अधिकारी ने बताया कि आज ही मोर्शी और वरूड तहसीलों के कुछ मंडलों में अतिवृष्टि से हुए नुकसान को देखते हुए सरकारी मदद का वितरण शुरू हो गया है. मोर्शी, नेर, रिध्दपुर, बेनोडा, वरूड, पिंगलाई और अन्य मंडलों के किसानों के बैंक खाते में सहायता राशि जमा हो रही है. खुद किसानों ने रकम खाते में आने के संदेश मिलने की बात कही है. अधिकारी ने बताया कि असिंचित खेती के लिए 8500 प्रति हेक्टेयर, िंसंचित के लिए 13500 और बगायती के लिए 22500 रूपए प्रति हेक्टेयर सहायता फिलहाल दी गई है.
अन्य तहसीलों का भेजा प्रस्ताव
जिले की कुछ तहसीलों को अतिवृष्टि के नुकसान से अलग रखा गया था. आवाज उठाने पर आनन- फानन में नया शासनादेश जारी हुआ और सभी तहसीलों को क्षतिपूर्ति के लिए मान्य किया गया. वह तहसीले नये प्रस्ताव में शामिल की गई है. उनकी भी सहायता राशि अति शीघ्र आने की संभावना बताई गई है. काली दिवाली
शासन की सहायता पहुंचने में देरी हो जाने से किसानों की दिवाली विपक्ष के अनुसार काली रही. विपक्ष ने जगह- जगह प्रदर्शन कर इसके लिए आवाज भी उठाई.. किसानों की आत्महत्या का सत्र भी जारी है. ऐसे में लक्ष्मी पूजन के दो दिनों बाद सहायता मिलने को कई लोग इसे निरर्थक बता रहे हैं. अमरावती जिले के लिए 570 करोड का प्रस्ताव भेजा गया था. पहले चरण में केवल 38 करोड 65 लाख प्राप्त हुए हैं. जिसका वितरण मंडल निहाय हो रहा है.
सोयाबीन के बुरे हाल
जिलास्तरीय फल बीमा समिति के सभासद पुष्पक खापरे ने बताया कि संतरे की फसल पर सर्वाधिक चोट पहुंची है. सोयाबीन प्रति एकड मात्र 12 किलो या अधिकतम 6 बोरे आया है. उसमें भी मार्केट मेें दाम केवल 2 से 4 हजार रूपए प्रति क्विंटल बडी मुश्किल से मिल रहे हैं. कई किसानों ने सोयाबीन पर रोटावेटर घुमा दिया है. हालात बडे खराब होने का दावा पुष्पक खापरे ने किया है.





