परतवाडा मामले में ‘अमरावती मंडल’ की खबर ही निकली सही

देर रात ग्रामीण पुलिस ने प्रेसनोट जारी कर दी स्पष्ट जानकारी

* काफी हद तक लिपापोती करने का ही हुआ प्रयास
* गलत जानकारी के आधार पर कार्रवाई से पुलिस की हुई किरकिरी
अमरावती/दि.4 – ऐन दशहरा पर्व वाले दिन मुंबई पुलिस की ओर से मिली एक सूचना के आधार पर अमरावती ग्रामीण पुलिस सहित नागपुर पुलिस की अपराध शाखा ने परतवाडा की ब्राह्मणसभा कॉलोनी परिसर में जबरदस्त छापामार कार्रवाई करते हुए 13 युवकों को हिरासत में लिया था. जिसके बाद बडी तेजी के साथ यह खबर फैली कि, परतवाडा की ब्राह्मणसभा कॉलोनी व धामोडिया प्लॉट परिसर में लॉरेंस बिश्णोई गैंग के सदस्य आकर छिपे हुए थे. जिन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया. परंतु कल सबसे पहले ‘अमरावती मंडल’ ने ही अपने स्तर पर खोजी पडताल करते हुए यह तथ्य उजागर किया था कि, पकडे गए युवकों का लॉरेंस बिश्णोंई गैंग तो दूर, अपराध जगत से भी दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है और इसमें से किसी भी युवक के खिलाफ कोई एक अपराधिक मामला भी दर्ज नहीं है. ‘अमरावती मंडल’ द्वारा प्रकाशित खबर उस समय पूरी तरह से सही साबित हुई, जब कल देर रात अमरावती ग्रामीण पुलिस ने भी अपनी ओर से प्रेसनोट जारी करते हुए यह स्वीकार किया कि, 2 अक्तूबर की रात हुई उस कार्रवाई के दौरान पुलिस द्वारा पकडे गए युवकों का किसी अपराधिक गैंग के साथ कोई वास्ता नहीं पाया गया. साथ ही अब यह जानकारी भी सामने आई है कि, ग्रामीण पुलिस ने इस मामले को ‘डी-फाईल’ करते हुए बंद कर दिया ैहै तथा परसों रात पकडे गए सभी युवकों को कल देर रात छोड दिया गया है, इसका अंदेशा भी ‘अमरावती मंडल’ ने गत रोज प्रकाशित अपनी खबर में व्यक्त किया था. जिसके चलते ‘अमरावती मंडल’ की खबर शत-प्रतिशत सही व सटीक साबित हुई है.
यहां यह बात बेहद उल्लेखनीय है कि, अपनी छोटी-मोटी कार्रवाईयों को लेकर तुरंत प्रेसनोट जारी करने और छिटपूट अपराधियों के पकडे जाने का ऐलान करने हेतु त्वरीत ही पत्रवार्ता बुलानेवाली अमरावती ग्रामीण पुलिस की ओर से कल पूरे दिनभर के दौरान एक बार भी 2 अक्तूबर की रात परतवाडा में हुई कार्रवाई के बारे में कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया था. जबकि स्थानीय मीडिया द्वारा कल दिनभर अमरावती ग्रामीण पुलिस की ओर से प्रेसनोट जारी होने या पत्रवार्ता बुलाए जाने का इंतजार किया जा रहा था. परंतु कल शाम जैसे ही ‘अमरावती मंडल’ द्वारा परतवाडा की घटना को लेकर अपनी तथ्यात्मक खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की गई, वैसे ही अमरावती ग्रामीण पुलिस में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया. जिसके बाद रात करीब 9 बजे के आसपास ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से एक प्रेसनोट जारी की गई. जिसमें स्वीकार किया गया कि, परतवाडा में हुई कार्रवाई के दौरान पकडे गए युवकों का लॉरेंस बिश्णोई गैंग सहित किसी भी अन्य अपराधिक गिरोह के साथ कोई लेना-देना नहीं पाया गया. साथ ही पुलिस को मिली जानकारी में कुछ हद तक गलती या चूक हुई थी. जिसके चलते यह गडबडीवाली स्थिति बनी. पुलिस हकीकत में किसी और व्यक्त की तलाश कर रही थी, परंतु उस चक्कर में कुछ अलग ही युवकों को उठा लिया गया. जिन्हें आवश्यक जांच-पडताल व पूछताछ के बाद छोड भी दिया गया है.
ध्यान दिला दें कि, गत रोज ‘अमरावती मंडल’ ने अपनी खोजी रिपोर्ट के जरिए स्पष्ट किया था कि, मुंबई पुलिस के एक जॉइंट पुलिस कमिश्नर ने लॉरेंस बिश्णोई गैंग का राणा नामक शार्प शूटर अमरावती के परतवाडा शहर में रहने की जानकारी अमरावती ग्रामीण व नागपुर पुलिस को देने के साथ ही उसका लोकेशन भी बताया था. जिसके बाद अमरावती ग्रामीण व नागपुर पुलिस की अपराध शाखाओं के दल अलग-अलग परतवाडा पहुंचे थे. जिनका पहली बार परतवाडा में ही आमना-सामना हुआ था और दोनों दलों ने दशहरे की गहमा-गहमी खत्म होने के बाद रात में कार्रवाई करने का निर्णय लिया था. जिसके चलते पुलिस के दल ने रात करीब 10.30 बजे के आसपास ब्राह्मणसभा कॉलोनी स्थित एक मकान पर धावा बोला था. जहां पर एक कमरे में किराए से रहनेवाले 8 युवकों को धरा गया था. चूंकि पुलिस को यह पहले से इतल्ला दी गई थी कि, लॉरेंस बिश्णोई गैंग से वास्ता रखनेवाला राणा नामक शार्प शूटर पुलिस को देखते ही गोली चलाता है. ऐसे में पुलिस ने उन युवकों को डराने हेतु कार्रवाई के दौरान एक राऊंड फायर भी किया था. साथ ही साथ उनकी निशानदेही पर धामोडिया प्लॉट में रहनेवाले 5 अन्य युवकों को भी हिरासत में लिया गया था. इस कार्रवाई के चलते पूरे परतवाडा शहर में अच्छी-खासी सनसनी मच गई थी. साथ ही साथ अफवाहों का दौर भी अच्छा-खास तेज हो गया था.
वहीं कल 3 अक्तूबर को सुबह इस मामले के उजागर होते ही लगभग पूरा दिन यह चर्चा आम रही कि, पुलिस ने परतवाडा से लॉरेंस बिश्णोई गैंग से वास्ता रखनेवाले 13 लोगों को पकडा है. जिनके पास से कुछ हथियार भी बरामद किए गए है. परंतु यहीं से ‘अमरावती मंडल’ ने अपनी खोजी पडताल करनी शुरु की. जिसके तहत पता चला कि, जिन युवकों को इस कार्रवाई के दौरान पकडा गया है, वे जडीबुटीवाली दवाई एवं औषधी बेचने का काम करते है और उनका इससे पहले भी परतवाडा में आना-जाना हुआ करता था. जिसके तहत उन्होंने 6 माह पहले भी ब्राह्मणसभा कॉलोनी स्थित उसी मकान में किए पर कमरा लिया था. जहां पर वे फिलहाल रह रहे थे. ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि, जडीबुटी बेचनेवाले आम युवक जब 2 अक्तूबर की दोपहर ही परतवाडा में किराए का कमरा लेकर रहने पहुंचे, उनका कोई अपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था, तो उनके बारे में लोकेशन सहित जानकारी मुंबई पुलिस के पास कैसे थी और मुंबई पुलिस सहित इंटेलिजन्स द्वारा उन लोगों पर नजर क्यों रखी जा रही थी. साथ ही 2 अक्तूबर की दोपहर परतवाडा में रहने हेतु पहुंचे उन युवकों के ठिकाने पर कुछ ही घंटे के बाद पुलिस की ओर से छापामार कार्रवाई क्यों की गई. जिसका एक जवाब यह भी हो सकता है कि, राणा नामक शार्प शूटर के चक्कर में मुंबई पुलिस सहित इंटेलिजन्स द्वारा किसी अन्य ही युवक पर नजर रखते हुए, उसका पीछा किया जा रहा था और जैसे ही वह युवक अपने अन्य साथीदारों के साथ परतवाडा पहुंचा, तो इंटेलिजन्स सहित मुंबई पुलिस ने इसकी सूचना अमरावती ग्रामीण व नागपुर पुलिस को दी. जिस पर भरोसा करते हुए दोनों पुलिस घटकों की अपराध शाखाओं ने छापामार कार्रवाई कर दो स्थानों से 13 लोगों को उठा लिया. लेकिन इसके बाद जैसे ही असलियत का खुलासा हुआ, तो पुलिस को अपनी हद्द पिटती दिखाई दी. जिसके चलते संभावित किरकिरी से बचने हेतु हर कोई इस मामले से अपना पल्ला झाडने लगा. वहीं कल देर रात अमरावती ग्रामीण पुलिस ने अपनी ओर से प्रेसनोट जारी करते हुए पूरे मामले को लेकर स्थिति स्पष्ट की. साथ ही साथ इसके उपरांत उन सभी 13 युवकों को छोड भी दिया गया.

* इंटेलिजन्स इनपुट पर की थी कार्रवाई, अब मुंबई पुलिस पता करेगी असलियत
इस संदर्भ में जानकारी व प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर अमरावती के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विशाल आनंद ने कहा कि, हमें इंटेलिजन्स की ओर से जो इनपुट मिले थे, हमने उसके आधार पर नियमानुसार व आवश्यक कार्रवाई की. इसके बाद हिरासत में लिए गए युवकों से की गई पूछताछ के जरिए जब यह बात स्पष्ट हुई कि, इंटेलिजन्स की ओर से दी गई सूचना में कहीं न कहीं कोई चूक हुई है और जिन लोगों के बारे में सूचना दी गई थी, पकडे गए लोग उनसे अलग है. तो यह बात और पहचान सुनिश्चित होते ही उन युवकों को छोड दिया गया. साथ ही इस बात से मुंबई पुलिस को अवगत भी करा दिया गया. ऐसे में अब मामले में चूक कहां हुई और असलियत क्या है, इसकी जांच करने का जिम्मा मुंबई पुलिस का है.

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