देश दुनिया

कोरोना काल में हमारी ऑनलाइन दुनिया साइबर अपराधियों के कब्जे में थी!

IOCTA की रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा

नई दिल्ली /दि.3- कोरोना महामारी के दौरान इंसान की ‘ऑनलाइन जिंदगी’ कहिए या फिर ‘डिजीटल दुनिया’ पर पूरी तरह साइबर अपराधियों  का कब्जा हो चुका था. जब इंसान जिंदगी बचाने की जद्दोजहद से जूझ रहा था. इंसानी दुनिया के वैज्ञानिक इंसान की जिंदगी महफूज रखने के लिए ‘वैक्सीन’ तलाशने की पुरजोर कोशिशों से जूझ रहे थे. तब मुसीबत के उस दौर में भी साइबर अपराधी इंसान की डिजीटल या कहिए ऑनलाइन दुनिया पर कब्जा करने में जुटे थे. यह बात है कोरोना शुरू होने से लेकर अब तक के बीच यानी बीते 12 महीनों के बीच की.

इन सनसनीखेज तथ्यों का खुलासा हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में हुआ है. यह रिपोर्ट यूरोपोल की सहायक संस्था IOCTA  द्वारा एक साल में जुटाए गए साइबर अपराध संबंधी डाटा के आधार पर तैयार की गई. यूरोपोल यूरोपीय संघ की कानून प्रवर्तन एजेंसी है. इसका मुख्य उद्देश्य, लक्ष्य या कहिए कि जिम्मेदारी ही, यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों के लिए कानूनी सहायता प्रदान करना है.

यूरोपोल की ये हैं जिम्मेदारियां

यूरोपोल का मुख्यालय हेग, नीदरलैंड  में स्थित है. यूरोपोल की जिम्मेदारियों में प्रमुख हैं कि वो, 27 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को आतंकवाद, साइबर अपराध और अपराध के अन्य गंभीर और संगठित रूपों के खिलाफ लड़ाई में इन देशों की मदद करना. इतना ही नहीं यूरोपोल सी नामी संस्था कई गैर-यूरोपीय संघ के भागीदार राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भी मिल-जुलकर काम काम करती है. जहां तक बात यूरोपोल की सहयोगी संस्था IOCTA के कामकाज के तौर-तरीकों की है.

IOCTA के बारे में जानना जरूरी है

IOCTA यूरोपोल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ही काम करती है. IOCTA की विशेषता की अगर बात की जाए तो, इसका प्रमुख काम या फिर जिम्मेदारी यूरोपोल के लिए ऑनलाइन-इंटरनेट संबंधी यानि साइबर अपराधियों और अपराधों पर पैनी नजर रखना है. IOCTA ने बीते 12 महीने (कोरोना काल में) सिर्फ इसी से संबंधित जानकारियां जुटाने पर काम किया था कि, कोरोना संक्रमण काल में जब दुनिया उससे बचाव के उपायों से जूझ रही थी तब, साइबर अपराधियों की गतिविधियों का स्तर क्या रहा?

बेलगाम हुए साइबर अपराधी

कोविड सी महामारी से उत्पन्न मुसीबत के ऐसे दौर में साइबर अपराधियों ने आम इंसान की दुनिया में किस हद की उथल-पुथल मचा रखी थी? ऐसे महत्वपूर्ण अनुसंधान  में जुटी IOCTA की सर्वेक्षण प्रोजेक्ट टीम में यूरोपोल के सलाहकार समूहों के सदस्यों और आंतरिक विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया था. इन सभी से सवाल यह किया गया कि, कोरोना सी त्रासदी के 12 महीने में ऑनलाइन साइबर अपराधों के परिदृष्य में वे क्या सोचते हैं? या उनका अपना निजी अनुभव क्या रहा?

इसलिए सर्वे किया जाना जरूरी था

दरअसल सर्वे कर रही IOCTA की टीमें जानना चाह रही थीं कि कोरोना त्रासदी के दौर में साइबर अपराध और साइबर अपराधियों की गतिविधियों में किस तरह के बदलाव अचानक आ गए होंगे? सर्वे के दौरान पूछे गए सवालों की संख्या बहुत कम यानि चार थी. इन चार में पहला और एक प्रमुख सवाल था कि, कोरोना काल के बीते 12 महीनों में साइबर अपराध की व्यापकता और उसके तरीके में आए बदलाव कैसे थे? 12 महीने के जुटाए गए तमाम संबंधित आंकड़ों से पता चला कि, कोविड-19 के दौरान साइबर अपराधी इंसान की डिजीटल या ऑनलाइन दुनिया पर बुरी तरह हावी हो गए थे.

 

Related Articles

Back to top button