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रूस-युक्रेन संकट से भारत भी अछूता नहीं

2.35 अरब डॉलर का व्यापार है खतरे में

* दोनों ही देशों के साथ चलता है भारत का आयात-निर्यात
* युध्द लंबा चलने पर कई क्षेत्रोें को होगा जबर्दस्त नुकसान
* अनिश्चितता के दौर में कच्चे तेल व सोने-चांदी में भारी उछाल
नई दिल्ली/मुंबई/दि.25
– अंतत: अधिकृत तौर पर रूस एवं युक्रेन के बीच युध्द शुरू हो चुका है और रूसी सेना द्वारा युक्रेन के शहरों व ठिकानों पर जबर्दस्त हमले करने शुरू कर दिये गये है. यद्यपि यह भारत से हजारों किलोमीटर दूर दो देशों के बीच का आपसी मामला दिखाई दे रहा है. किंतु इस वैश्विक युग में दुनिया के अन्य कई देशों के साथ-साथ भारत भी खुद को इस युध्द के प्रभाव में आने से नहीं बचा सकता. क्योंकि रूस व युक्रेन इन दोनों देशों के साथ भारत के राजनयीक व व्यापारिक संबंध है और इन दोनों देशों के बीच विगत कई सप्ताह से चल रहे तनाव एवं अब घोषित तौर पर शुरू हो चुके युध्द का भारतीय अर्थ व्यवस्था एवं व्यापार क्षेत्र पर भी काफी हद तक प्रभाव पडता दिखाई दे रहा है.
बता दें कि, रूस एवं युक्रेन के बीच युध्द शुरू होते ही भारतीय शेयर बाजारों में 4.48 फीसद की गिरावट दर्ज की गई और गत रोज डॉलर की तुलना में भारतीय रूपया 109 पैसे से टूट गया. वहीं भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अदानी, लक्ष्मी मित्तल, सायरस पूनावाला, कुमार बिल्डा, उदय कोटक व दिलीप संघवी सहित दुनिया के बडे-बडे उद्योगपतियों का हजारों करोड रूपयों से अधिक का नुकसान हुआ है. जिसमें दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति ऐलन मस्क का ही अकेले 1 लाख करोड रूपयों का घाटा हुआ है. इसके साथ ही अब कच्चे तेल व सोने-चांदी जैसे उत्पादों सहित खनिज उत्पादों की दरों में भी वृध्दि होती दिखाई दे रही है.
इस संदर्भ में उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान भारत और युक्रेन के बीच 2.35 बिलीयन डॉलर का व्यापार हुआ. जिसके और भी अधिक उंचाई पर जाने की पूरी संभावना थी. इस दौरान युक्रेन को भारत का निर्यात 372 मिलीयन डॉलर का था. साथ ही 1.98 अरब डॉलर का आयात किया गया. इससे पहले वर्ष 2020-21 में युक्रेन के साथ भारत के कुल व्यापार का मूल्य 2.59 बिलीयन डॉलर का था. जिसमें से अकेले आयात 2.14 बिलीयन डॉलर का था. इससे पहले वर्ष 2018-19 में जब कुल व्यापार 2.8 बिलीयन डॉलर के करीब आया था, तब भारत ने युक्रेन से 2.34 बिलीयन डॉलर का सामान आयात किया था. भारत द्वारा मुख्य तौर पर दवाई का कच्चा माल, सूरजमुखी, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा व इस्पात आदि का युक्रेन से आयात किया जाता है. वहीं फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, तिलहन, मशीनरी व मशीनों के स्पेअर पार्ट आदि का युक्रेन को निर्यात किया जाता है. वहीं दूसरी ओर रूस भारत के साथ साझा व्यापार में 25 वां सबसे बडा भागीदार है. जिसके तहत रूस को भारत से 2.5 बिलीयन डॉलर का निर्यात किया जाता है और रूस से 6.9 बिलीयन डॉलर मूल्य का सामान आयात होता है. लेकिन अब चूंकि रूस और यूक्रेन में युध्द लगभग छिड गया है. ऐसे में दोनों ही देशों के साथ होनेवाले द्विपक्षीय व्यापार के बुरी तरह प्रभावित होने की पूरी संभावना है.
* चुनाव के बाद लगेगा महंगाई का झटका
रूस व यूक्रेन के बीच युध्द शुरू होते ही कच्चे तेल की कीमतों ने आठ वर्ष के उच्चतम स्तर को छू लिया है. जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट कू्रड यानी कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 105 डॉलर से अधिक हो चुकी है. इससे पहले वर्ष 2014 में भी कच्चे तेल की कीमते 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हुई थी. वहीं अब प्राकृतिक गैस की कीमतें भी बढने लगी है. जिसके चलते आगामी कुछ दिनों में एलपीजी व सीएनजी की दरों में वृध्दि हो सकती है. साथ ही उत्तर प्रदेश व पंजाब सहित पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के बाद सर्वसामान्य जनता को जबर्दस्त महंगाई का सामना करना पड सकता है. उल्लेखनीय है कि, चुनावों को ध्यान में रखते हुए देश में 3 नवंबर से पेट्रोल व डीजल की कीमतें नहीं बढी है और आगामी 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे. जिसके बाद पेट्रोल व डीजल की कीमतें निश्चित रूप से बढ सकती है.

* पेट्रोल व डीजल में प्रति लीटर 10 रूपये का हो सकता है इजाफा
यद्यपि अक्सर यह कहा जाता है कि, पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर केंद्र सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. किंतु पांच राज्यों का चुनाव जारी रहने के चलते 3 नवंबर से अब तक दोनों ही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. इस समय रशिया व युक्रेन के बीच चल रहे युध्द की वजह से कच्चे तेल के दामों में लगातार वृध्दि हो रही है. लेकिन इसके बावजूद देश में पेट्रोलियम पदार्थों की दरें स्थिर है. किंतु जानकारों का कहना है कि, 7 मार्च को जैसे ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का अंतिम चरण पूरा होगा, वैसे ही पेट्रोल व डीजल की दरों में प्रति लीटर 10 रूपये का इजाफा हो सकता है. इसके बाद रोजाना 30 पैसे से 80 पैसे प्रती लीटर की थोडी-थोडी दरवृध्दि हो सकती है. जिसके चलते मार्च माह के अंत तक महाराष्ट्र में पेट्रोल 125 रूपये प्रति लीटर की दर तक जा सकता है.

* रसोई गैस की दरे भी बढेंगी
बता दें कि, भारत द्वारा रूस से 0.20 फीसद गैस का आयात किया जाता है. गैस एथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी गेल द्वारा हाल ही में एलएनजी के लिए रूस के साथ करार किया गया है. जिसके तहत आगामी 20 वर्ष हेतु प्रति वर्ष 2.50 दशलक्ष टन गैस आयात करने का करार किया गया. किंतु अब युध्द की वजह से इस करार पर भी परिणाम पडने की संभावना है.

* रक्षा क्षेत्र भी होगा प्रभावित
भारत द्वारा रूस से बडे पैमाने पर हथियारों की खरीदी की जाती है और भारतीय सेना के पास करीब 60 फीसद हथियार रशियन मेडवाले है. इसके अलावा भारत को रूस से एस-400 नामक प्रक्षेपास्त्र विरोधी एअर डिफेन्स सिस्टीम भी मिलनेवाली है. लेकिन यदि युध्द और भी अधिक भडकता है, तो संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा रूस पर कडे प्रतिबंध लगाये जा सकते है. ऐसी स्थिति में रूस से होनेवाली हथियारों की आपूर्ति भी बाधित हो सकती है.

* शेअर बाजार धडाम, सराफा में उछाल
रूस और युक्रेन के बीच जंग छिड जाने की वजह से दुनियाभर के शेअर बाजारों में गिरावट की स्थिति देखी गई. जिससे निवेशकों के करोडो अरब रूपये डूब गये. वहीं दूसरी ओर युध्द शुरू होते ही सोने व चांदी जैसी चमकीली धातुओं के दामों में जबर्दस्त तेजी देखी गई. इंडियन बुलियन एन्ड ज्वेलर्स एसो. द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक गत रोज सोने में प्रति तोला 2 हजार 491 रूपये तथा चांदी में प्रति किलो 3 हजार 170 रूपये का उछाल आया. जिसके चलते अब सोना 52 हजार 540 रूपये प्रति तोला व चांदी 67 हजार 755 रूपये प्रति किलो के स्तर पर जा पहुंचे है.

18 हजार छात्र-छात्राओं सहित हजारों भारतीय हैं अटके
बता देें कि, विगत कुछ वर्षों से मेडिकल पाठ्यक्रमों की पढाई पूर्ण करते हुए डॉक्टर बनने के इच्छुक भारतीय छात्र-छात्राएं रशियन व युक्रेनियन विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में पढाई-लिखाई करने हेतु जाते है. इस समय भी युक्रेन में 18 हजार से अधिक भारतीय छात्र-छात्राएं वहां के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ रहे है. साथ ही साथ अपने कामकाज व व्यापार-व्यवसाय के लिहाज से भी कई भारतीय युक्रेन में बसे हुए है. जिसमें से अधिकांश लोगों ने इससे पहले युक्रेन छोडने में रूचि दिखाई. उन्हेें लग रहा था कि, यह संकट बहुत जल्द टल जायेगा और संभवत: युध्द नहीं होगा. किंतु हालात बेहद तेजी से बदल गये. वहीं युध्द का खतरा शुरू होने से पहले 241 विद्यार्थी युक्रेन छोडकर भारत लौट आये. इसके बाद भारतीयों को वापिस लाने हेतु युक्रेन की राजधानी कीव जाने हेतु रवाना हुआ एअर इंडिया का विमान इसी दौरान युक्रेन की हवाई सीमा बंद हो जाने के चलते वहां पहुंच नहीं पाया. ऐसे में कीव में स्थित भारतीय दूतावास ने सभी भारतीयों को फिलहाल अपने-अपने घरों में रहते हुए दूतावास के साथ संपर्क में रहने हेतु कहा है. साथ ही साथ भारतीयों को वहां से निकालने हेतु युक्रेन की सीमा से सटे पोलैंड, हंगरी व बेलारूस जैसे देशों के साथ चर्चा की जा रही है.

* गेहू के निर्यात में हो सकता है फायदा
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर रूस-युक्रेन युध्द की वजह से भारत को कई मोर्चों पर नुकसान होता दिखाई दे रहा है. वहीं गेहू के निर्यात के क्षेत्र में भारत के पास अब नये अवसर उपलब्ध होंगे. जिसका घरेलू निर्यातकों द्वारा लाभ उठाया जा सकता है. दुनिया के गेहू के निर्यात का एक चौथाई से अधिक रूस व युक्रेन से आता है. वर्ष 2019 में रूस और युक्रेन ने मिलकर दुनिया के एक चौथाई यानी करीब 25.4 प्रतिशत से अधिक गेहू का निर्यात किया और मिस्त्र, तुर्की व बांग्लादेश में रूस का आधे से अधिक गेहू खरीदा. इस समय रूस दुनिया का सबसे बडा गेहू निर्यातक देश है. जिसका अंतरराष्ट्रीय निर्यात में 18 प्रतिशत से अधिक योगदान है. वहीं मिस्त्र दुनिया में गेहू का सबसे बडा आयातक है, जो अपनी 100 मिलीयन से अधिक की आबादी को खिलाने के लिए सालाना 4 बिलीयन अमरीकी डॉलर से अधिक खर्च करता है. साथ ही रूस व युक्रेन मिलकर मिस्त्र की आयातीत गेहू की 70 प्रतिशत से अधिक की मांग को पूरा करते है. इसके बाद रूसी और युक्रेनी गेहू पर तुर्की द्वारा भी काफी अधिक खर्च किया जाता है. चूंकि इस समय रूस और युक्रेन युध्द में व्यस्त है, तो इसका फायदा अच्छा-खासा गेहू उत्पादन करनेवाले भारत द्वारा उठाया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि, गेहू उत्पादन के क्षेत्र में भारत का केंद्रीय पूल 24.2 मिलीयन टन है, जो बफर और रणनीति जरूरतों से दो गुना अधिक है. ऐसे में भारत द्वारा बडी आसानी के साथ दूनिया के गेहू आयातक देशों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.

* कैट ने वित्तीय स्थिरता हेतु संतुलन की बतायी जरूरत
इसी दौरान कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतीया तथा राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने रूस और युक्रेन के बीच युध्द से उत्पन्न हालात का विश्लेषण करते हुए कहा कि, भारत के व्यापारी सामान्य तौर पर युक्रेन के आपूर्तिकर्ताओें को अग्रीम भूगतान किया जाता है. जो अब अनिश्चितकाल के लिए फंस सकता है. क्योेंकि युक्रेन से आनेवाले शिपमेंट युध्द की वजह से लंबे समय तक अटके रह सकते है. जिससे भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा. ऐसे में देश का व्यापारिक समुदाय मौजूदा संकट के समय सरकार के साथ एकजूटता से खडा है और देश में वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के लिए सरकार द्वारा उठाये जानेवाले किसी भी कदम का समर्थन करेगा. इसके साथ ही कैट ने केंद्र सरकार से रूस और युक्रेन के बीच मौजूदा युध्द पर नजर रखते हुए देश में व्यापार व वाणिज्य के लिए कुछ सहायक उपायों की घोषणा करने का आग्रह किया है.

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