नई दिल्ली/दि. 16 – कोरोना के मरीजों के लिए काफी असरदार मानी जा रही दवा ‘2 डीजी’ (DRDO’s Anti Covid Drug 2DEGE) सोमवार को लांच की जाएगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस दवा को तैयार किया है. दिल्ली के डीआरडीओ भवन में होने वाले इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री कुछ चुनिंदा अस्पताल के डॉक्टरों को 10 हजार दवा के पैकेट सौपेंगे. इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की ऑक्सजीन पर निर्भरता काफी कम हो जाती है. देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा मरीजों के लिए उम्मीदें काफी बढ़ाने वाली है. देश के दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने आपात इस्तेमाल के लिए इस दवा को मंजूरी दी है. डीआरडीओ के इनमास लैब के वैज्ञानिकों ने यह दवा डाक्टर रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर बनाई है. इस दवा के मरीजों पर इस्तेमाल को डीसीजीआई ने भी मंजूरी दे दी है. इस दवा का डीआरडीओ ने करीब 110 मरीजों पर ट्रायल किया है. सबके नतीजे काफी बेहतर रहे हैं. ट्रायल में पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस से लड़ने काफी असरदार है. इसके इस्तेमाल से मरीज जल्द ठीक हो जाता है. यह एक तरह का सूडो ग्लूकोज है, जो वायरस की बढ़ने की क्षमता को रोकता है. यह दवा एक पाउडर की तरह होती है, जिसे आसानी से पानी में घोलकर पिया जा सकता है. कोरोना से मचे हाहाकर के बीच यह दवा मरीजों के लिए रामबाण साबित हो सकती है. DRDO द्वारा विकसित कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) की 10 हजार डोज का पहला बैच अगले सप्ताह की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि हम इसके उत्पादन को तेज कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा कोविड मरीजों के लिए यह उपलब्ध हो सके. इस दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंस (INMAS) ने हैदराबाद के डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर तैयार किया है. 2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है.
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने पिछले हफ्ते बेंगलुरु में डीआरडीओ के कैंपस का दौरा किया, जहां वैज्ञानिकों ने उन्हें महामारी से निपटने में DRDO के प्रयासों के बारे में जानकारी दी. 2डीजी दवा कोविड के खिलाफ युद्ध में गेम चेंजर की भूमिका निभा सकती है. DRDO द्वारा विकसित 2-डीजी बड़ी उपलब्धि है और यह महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती. इससे अस्पतालों में भर्ती मरीज तेजी से ठीक होंगे और चिकित्सकीय ऑक्सीजन पर भी निर्भरता घटेगी.