नई दिल्ली/दि.१२ – कोरोना संकट की वजह से दुनिया की ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं में इस साल मंदी आने की आशंका जताई जा रही थी. ब्रिटेन के लिए यह आशंका सच साबित हुई है. कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते दूसरी तिमाही में जीडीपी में 20.4 फीसदी की भारी गिरावट आई.
इस तरह ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में आ गई है. ब्रिटेन में लगातार दो तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट नेगेटिव रहने पर अर्थव्यवस्था को आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में माना जाता है. ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 की पहली तिमाही यानी मार्च में खत्म तिमाही में अर्थव्यवस्था 2.2 फीसदी घटी थी. जून की दूसरी तिमाही में इसमें 20.4 फीसदी की गिरावट आई है.न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक वहां के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने कहा, आज के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि हमारे लिए काफी कठिन समय आ चुका है. लाखों लोग पहले से ही नौकरियां गंवा चुके है और दुखद यह है कि अगले महीनों में और लोगों की नौकरियां जा सकती हैं.
विश्व बैंक ने दी थी चेतावनी
कोरोना वायरस के बढते संक्रमण के असर को लेकर विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी मंदी आ सकती है. विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी की गिरावट आ जा सकती है. ग्लोबल इकोनॉमी में साल 1870 के बाद अब तक कुल 14 बार मंदी आई है.दूसरे देशों के विपरीत ब्रिटेन की सांख्यिकी एजेंसी तिमाही आंकड़ों के साथ ही मासिक आंकड़े भी जारी करती है और इन आंकड़ों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में आगे सुधार की उम्मीद दिख रही है. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था जून में गैर जरूरी सामान की दुकानों को फिर से खोलने की इजाजत देने के बाद 8.7 फीसदी की दर से बढ़ी. ब्रिटिश सरकार को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को खोलने और कामकाज को आसान बनाने के चलते आगे सुधार होगा