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वकील पर अत्याचार करने वाले पुलिस के वेतन से 3 लाख का जुर्माना भरे

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारी को लगाई फटकार

बैंगलोर/दि.24 – जब लोग राज्य या उनके एजेंट से घबराने लगते है, तब वहां लोगों पर अत्याचार शुरु होता है. इस बात का ध्यान रखे. ऐसा कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दर्ज करते हुए पुलिस अधिकारी को फटकार लगाई.
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने दक्षिण कन्नड जिले के 23 वर्षीय वकील कुलदीप ने दायार किए याचिका का फैसला सुनाते हुए कहा कि, जब राज्य या उनके एजेंट लोगों से घबराते है. इसका अर्थ वहां स्वतंत्रता रहती है और जब लोग राज्य या उनके एजेंट से घबराते है, तब अत्याचार होते रहता है. पुलिस उपनिरीक्षक सुतेश केपी के खिलाफ मारपीट का अपराध दर्ज न होने के कारण पुथिला गांव के वकील कुलदीप ने अदालत में शरण मांगी. अदालत के निर्देश के बाद भी उपनिरीक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में देरी लगाई. इस पर अदालत ने नाराजी व्यक्त की.
क्या कहा अदालत ने
कुलदीप को गिरफ्तार करना गैर कानूनी है. उन पर लगाए गए अपराध में वॉरंट नहीं है, समाधानकारक जानकारी प्राप्त हुए बगैर किसी को गिरफ्तार न किया जाए, अन्यथा गिरफ्तारी के कारण किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता नाकारी जाएगी, यह गंभीर बात है. गिरफ्तारी के कारण अपमान होता है. जिंदगी भी स्थायी दाग लगता है. इस मुकदमे में जैसे वकील के साथ रवैया अपनाया गया. ऐसा रवैया सामान्य व्यक्ति बर्दाश नहीं कर सकता. इस वजह से गैर कानून कृत्य करने वाले पर कार्रवाई करना जरुरी है. कहीं भी अन्याय हो रहा है, तो सभी ओर न्याय के लिए खतरा होगा, ऐसा भी अदालत ने कहा.
3 लाख की भरपाई पुलिस के वेतन से
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में गैर कानूनी गिरफ्तार और मारपीट में शामिल रहने वाले पुलिस की पहचान कर पुलिस महासंचालक और पुलिस महानिरीक्षक उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के निर्देश दिए. इस मामले की तहकीकात 3 माह में पूरा करें, ऐसा उच्च न्यायालय ने कहा. इसी तरह पीडित वकील को पुलिस के वेतन से 3 लाख रुपए की भरपाई देने के निर्देश दिए. विभागीय जांच में दोषी पाए जाने वाले पुलिस के वेतन से वह रकम वसूल की जाए, ऐसे भी आदेश दिए गए.

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