नई दिल्ली/दि.17– आज भी अनेक लोग इंटरनेट से दूर है. यह सच्चाई है. इंटरनेट लेने के लिए पैसे गिनने की क्षमता न रहने से यह लोग ‘इंटरनेट गरीब’ साबित हुए हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में भाव और कम किए जाने से विश्व की 40 प्रतिशत आबादी यानी 69 करोड लोगों की यह ‘गरीबी’ दूर हुई है, ऐसे नागरिकों की संख्या एशीयाई देशों में सर्वाधिक थी. अफ्रिकन देशों की इंटरनेट गरीबी निर्देशांक में कम हुई है. इस गरीबी का सामना करने वालों में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है.
* इंटरनेट के भाव कम करना जरुरी
विश्व के ‘इंटरनेट गरीब’ लोगों की संख्या कम होने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे है. साथ ही इंटरनेट के भाव कम करने की आश्यकता है.
* भाव कितने कम होंगे?
वर्ष 2015 से विश्व में इंटरनेट के औसतन 24 प्रतिशत भाव कम हुए. इससे अधिक भाव कम होने से कुछ देश के अधिक नागरिकों को इंटरनेट का इस्तेमाल करना संभव हुआ है.
* अफ्रिका में 52 प्रतिशत आबादी अभी भी दूर
वर्ष 2015 के बाद विश्व में सभी तरफ इंटरनेट की कीमत कम होने लगी है. अफ्रिका में यह कीमत तुलनात्मक काफी कम रही, फिर भी वहां की 52 प्रतिशत आबादी आज भी इंटरनेट से दूर है. काफी गरीबी के कारण अफ्रिका में अनेक समस्या निर्माण हुई है.
* इंटरनेट गरीब कितना?
देश कुल आबादी में प्रमाण
चाड 86.6
मादागास्कर 81.6
मोझाम्बिक 80.6
बुरुंडी 79.0
सोलोमन द्बीप 75.9
(स्त्रोत वर्ल्ड डेटा लैब की 2022 की आंकडेवारी)