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82 फीसद लोगों का अब भी प्रिंट मीडिया पर विश्वास

अखबारों में प्रकाशित खबरों व विज्ञापनों को माना जाता है विश्वसनीय

* लोगों को डिजीटल विज्ञापन देखना नहीं है पसंद
* डिजीटल की तुलना में विज्ञापन का पारंपारिक माध्यम है अधिक कारगर
* हावर्ड बिझनेस रिव्यू की रिपोर्ट से सामने आयी जानकारी
नई दिल्ली/दि.10– वैश्विक स्तर पर मानांकित व विश्वसनीय रहनेवाले हावर्ड बिझनेस रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक डिजीटल माध्यमों की तुलना में आज भी प्रिंट मिडिया की विश्वसनियता काफी अधिक है. और इस दौर में भी लोगबाग सोशल मीडिया की बजाय अखबारों, रेडिओ व टीवी के जरिये प्रकाशित होनेवाले विज्ञापनों और समाचारों पर अधिक विश्वास रखते है. इसमें भी सर्वाधिक 82 फीसद लोगों द्वारा प्रिंट मीडिया पर विश्वास जताया गया है. ऐसे में इस अध्ययन व रिपोर्ट के नतीजों को काफी आश्चर्यकारक माना जा सकता है, क्योंकि पिछला दशक डिजीटल मार्केटिंग के नाम पर था. किंतु अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद इंटरनेट के जरिये अपने उत्पादों की 100 फीसद बिक्री करनेवाली कंपनियों को भी आगामी 12 माह के दौरान विज्ञापन के पारंपारिक तरीकों यानी अखबार, टीवी व रेडिओ पर होनेवाले विज्ञापन खर्च में 11.7 फीसद की वृध्दि करनी होगी. क्योेंकि इस रिपोर्ट में लोगों द्वारा पारंपारिक तरीके से किये गये विज्ञापनों पर विश्वास रखने के कई पुख्ता कारण बताये गये है.

* इन वजहों के चलते बढेंगे पारंपारिक माध्यमों से विज्ञापन
– ब्राण्ड की विश्वसनियता में अखबार सबसे आगे
मार्केटिंग शेरपा के अनुसार आज भी विज्ञापनों को लेकर लोगों का विश्वास अखबारों पर ही सर्वाधिक है. जिन माध्यमों पर खरीदी को लेकर लोगों का सर्वाधिक विश्वास है, वे कुछ इस तरह है.
– माध्यम व ग्राहकों का विश्वास
प्रिंट – 82%
टीवी – 80%
ई-मेल – 76%
रेडिओ – 71%

– डिजीटल विज्ञापन लोगोें को पसंद नहीं
हब स्पॉट द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार 57 फीसद लोगों को वीडियो से पहले शुरू होनेवाले विज्ञापन पसंद नहीं आते और 43 फीसद लोग इन विज्ञापनों को देखते भी नहीं है. ऐसे लोग जब वेबसाईट पर कोई लेख पढते है, तब बीच में शुरू होनेवाले विज्ञापनों की वजह से संबंधित ब्राण्ड को लेकर नकारात्मक भाव पैदा होता है.

– थर्ड पार्टी कुकीज जल्द होगी खत्म
थर्ड पार्टी कुकीज के जरिये उपयोगकर्ता को उसकी रूची व खोज के आधार पर विज्ञापन दिखाये जाते है. किंतु अब यह जल्द ही खत्म होने की ओर अग्रेसर है. गुगल द्वारा वर्ष 2023 के अंत तक थर्ड पार्टी कुकीज गुगल क्रोम से निकाल दिया जायेगा. वहीं एपल भी कुछ ऐसा ही करने जा रहा है. जिसकी सबसे मुख्य वजह यह है कि, 19.8 फीसद कंपनियों ने पारंपारिक तरीके से विज्ञापन करने में निवेश किया है. ऐसी जानकारी सीएमओ द्वारा किये गये सर्वेक्षण के जरिये सामने आयी है.

– एबीक्यूटी द्वारा किये गये संशोधन के अनुसार डिजीटल चैनलों की तुलना में अखबारों सहित टीवी व रेडिओ जैसे माध्यम बेहतरीन काम करते है. जहां इन दिनों ऑनलाईन विज्ञापन की दरें बढ गई है. वहीं पारंपारिक माध्यमों में विज्ञापन की दरें घटी है.
– मार्केटिंग शेरपा की रिपोर्ट बताती है कि, आधे से अधिक ग्राहकों द्वारा अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों को अपनी पसंद के अनुरूप देखा जाता है. किंतु डिजीटल विज्ञापनों के दौरान ग्राहकों केे पास अपनी पसंद व रूची के लिए कोई आजादी नहीं होती. ऐसे में ग्राहक डिजीटल माध्यमों पर होनेवाली विज्ञापन बाजी से दूर भागते है.

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