नई दिल्ली/दि.१८- कोरोना संकट की वजह से इस साल यानी 2020 में चाय (चायपत्ती) के उत्पादन में करीब 37 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. इसकी वजह से अगले दिनों में लोगों की चाय की प्याली महंगी हो सकती है. कोरोना की वजह से देशभर में लंबे समय तक लॉकडाउन और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश की वजह से इस साल चाय का उत्पादन 37 फीसदी घटकर 878 हजार टन ही रह सकता है.
लॉकडाउन की वजह से मार्च से मई 2020 के दौरान चाय के उत्पादन पर काफी विपरीत असर पड़ा है. इस दौरान देश भर के टी गार्डेन और मेन्युफैक्चरिंग में उत्पादन में भारी गिरावट आई है. मार्च के दौरान चाय के उत्पादन में 41.4 फीसदी की भारी गिरावट आई है. इसके बाद अप्रैल में तो 53.8 फीसदी की भारी गिरावट आ गई. मई में उत्पादन में 28.3 फीसदी और जून में 8 फीसदी की गिरावट आई है.
गौरतलब है कि मई में हुए पहले ऑक्शन में ही गुवाहाटी में चायपत्ती की कीमत 52 फीसदी बढ़कर 217 रुपये प्रति किलो पहुंच गई थी. देश में औसतन चाय की कीमत 40 से 60 फीसदी बढ़ चुकी है. जाहिर है कि अगले महीनों में खासकर जाड़े में इसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा और चायपत्ती काफी महंगी खरीदनी पड़ेगी
जनवरी से जून के छह महीने में उत्पादन 26 फीसदी घटकर महज 348.2 हजार टन रह गया. लॉकडाउन खुलने के बाद टी इंडस्ट्री इस संकट से निपटने की कोशिश ही कर रही थी कि तब तक चाय उत्पादन के प्रमुख केंद्रों जैसे असम आदि में भारी बाढ़ और जल-जमाव की समस्या आ गई. असम में मई, जून और जुलाई महीने में भारी बारिश हुई. गौरतलब है कि आमतौर पर सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन जुलाई महीने में ही होता है. इसी महीने में असम में बेस्ट क्वालिटी चाय का उत्पादन होता है. इस महीने असम में आई भारी बाढ़ से डिब्रूगढ़, जोरहट, गोलाघाट जिलों में बड़ी मात्रा में चाय के पौधे नष्ट हो गए. भारत में कुल उत्पादन में करीब 50 फीसदी हिस्सा असम में ही होता है. जनवरी से जून के दौरान असम के कुल चाय उत्पादन में 40 फीसदी की भारी गिरावट आई है. इस दौरान असम में सिर्फ 132.8 हजार टन चाय का उत्पादन हुआ.