नई दिल्ली/दि. 20 – कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बाद सभी राज्य अपने स्वास्थ्य ढांचे को दुरुस्त करने में जुटे हुए नजर आ रहे हैं. दूसरी लहर के दौरान बेकाबू हुए हालत से सबक लेते हुए इस बार ऑक्सीजन का उत्पादन, आईसीयू और दवाइयों की व्यवस्था पर फोकस किया जा रहा हैं. बच्चों को खतरे को देखते हुए अस्पतालों में उनके इलाज के लिए बिस्तरों की पुख्ता व्यवस्था की जा रही है.
कई राज्यों के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने दबी जुबान में माना कि कोरोना की दूसरी लहर को लेकर वे बिल्कुल भी तैयार नहीं थे, लेकिन तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए तमाम प्रकार व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं.
बिहार सरकार ने दूसरी लहर से सीख लेते हुए सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी बुनियादी ढांचे और उपकरणों की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है. 24 घंटे ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी अस्पतालों में क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंक लगाए जा रहे हैं. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने राज्य के सभी 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में 2000 से 5000 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता के ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करना शुरू कर दिया है. राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों को सलाह दी है कि वे अनुबंध पर अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त संख्या में एएनएम और जीएनएम नियुक्त करें. राज्य में कुल मिलाकर 30,000 डॉक्टर, नर्स और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है. नियमित नियुक्ति के लिए 2632 सामान्य डॉक्टरों, 3883 स्पेशलिस्ट और 3270 आयुष डॉक्टरों सहित लगभग 9800 पदों पर भर्ती का विज्ञापन किया गया है और प्रक्रिया अभी शुरू होनी है.
दिल्ली ने बढ़ाई बेड की संख्या, जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू इधर, दूसरी लहर में बिस्तर के लिए परेशान हुए दिल्लीवासियों के लिए राहत की खबर है. दिल्ली सरकार कोविड-19 के इलाज के लिए बेड की संख्या 28 हजार से बढ़ाकर 37 हजार करने जा रही है. वहीं ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए के कई ऑक्सीजन पीएसए और भंडारण संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं. इस बीच, दिल्ली सरकार ने आईएलबीएस में जीनोम सीक्वेंसिंग सुविधा शुरू की है. इसके अलावा एनएनजेपी हॉस्पिटल में भी ऐसी ही प्रयोगशालाएं शुरू की गई हैं.
राजस्थान सरकार ने हर जिले और हर गांव तक ऑक्सीजन पहुंचाने की कार्य योजना तैयार की है. एक तरफ राज्य में जहां सरकारी प्लांट्स में 400 से अधिक नए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनें भी लगाई जा रही हैं. राज्य सरकार के पास 40 हजार से अधिक कंसंट्रेटर है. प्रदेश में करीब 700 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 2 हजार से ज्यादा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. सरकार हर प्राथमिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 5, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 10 और शेष ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सरकारी अस्पतालों में लगा रही है. वहीं हर जिले में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बैंक बनाए जा रहे हैं. यहां नागरिक सुरक्षा राशि जमा कर कंसंट्रेटर ले सकते हैं. पश्चिम बंगाल में छोटे बच्चों की माताओं के टीकाकरण पर जोर पश्चिम बंगाल ने भी कोरोना से निपटने की पूरी तैयार कर ली है. बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. पश्चिम बंगाल सरकार ने उन महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाने का निर्णय किया जिनके 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे है. वहीं राज्य में 10 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने जा रहा है.
कोरोना की दूसरी लहर में तमिलनाडु में ऑक्सीजन संकट गहराया था. रेलवे ने भी राज्य के लिए कई ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाई थी. दूसरी लहर के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की जरूरत 470 टन तक पहुंच गई थी। तीसरी लहर के डर को देखते हुए ऑक्सीजन के भंडारण क्षमता में इजाफा कर किया है. राज्य में ऑक्सीजन भंडारण टैंक की क्षमता बढ़ाकर 1,110 टन तक कर दी है. राज्य सरकार भविष्य में इसे ओर बढ़ाकर 2500 टन करने जा रही है. सरकार ने 1,75,000 बिस्तरों की व्यवस्था की है. वहीं हर जिले में कम से कम 100 कोविड बेड की व्यवस्था की है. इनमें बच्चों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षित रखे गए हैं. इसके अलावा केरल लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन क्षमता प्रतिदिन 149 टन से बढ़ाकर 300 टन प्रतिदिन कर रहा है.
उत्तर प्रदेश भी तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करते हुए दिखाई दे रहा है. राज्य के सभी 75 जिलों में 542 नए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं. इनमें से 151 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों में परिचालन भी शुरू हो गया है. बाकि बचे सभी संयंत्र अगस्त तक काम करने लगेंगे. तीसरी लहर से बच्चों से बचाने के लिए राज्य में पीआईसीयू और नवजात शिशु सघन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू) स्थापित कर रहे हैं. पीआईसीयू एक महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए है जबकि एनआईसीयू में एक महीने से कम उम्र के बच्चों का इलाज होगा. अब तक 3500 पीआईसीयू और 1800 आइसोलेशन बेड तैयार किए जा चुके हैं. जबकि प्राइवेट अस्पतालों में गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों के लिए 2,900 आइसोलेशन बेड के इंतजाम किए गए हैं.
गुजरात ने बढ़ाई कोविड केंद्रों की संख्या दूसरी लहर के बाद गुजरात ने अपने यहां 300 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. इनमें से 175 संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं. प्रदेश में अभी 1,800 कोविड-19 चिकित्सा केंद्र हैं. जल्द ही 600 नए केंद्र तैयार किए जाएंगे. राज्य में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की संख्या क्रमश: 61 हजार से बढ़ाकर एक लाख 10 हजार और 15 हजार से बढ़ाकर 30 हजार की जा रही है. वेंटीलेटर की संख्या भी सात हजार से बढ़ाकर 15 हजार की जा रही है.
मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर के अंदेशे को देखते हुए राज्य सरकार अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या, ऑक्सीजन, उपकरणों और दवाओं की आपूर्ति बढ़ाने पर जोर दे रही है. प्रदेश में 11 हजार 185 बेड उपलब्ध हैं और तीन हजार 63 नए ऑक्सीजन बेड स्थापित किए जा रहे हैं. चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 750 ऑक्सीजन बेड बढ़ाए जा रहे हैं. राज्य में ऑक्सीजन के लिए 186 पीएसए प्लांट्स स्थापित किए जा रहे हैं, इनमें से 34 ने काम करना भी शुरू कर दिया है. अन्य 152 पीएसए प्लांट्स 30 सितंबर तक शुरू हो जाएंगे, जिनकी क्षमता 229 टन ऑक्सीजन की होगी। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों की भी नियुक्ति की जा रही और उन्हें कोविड से संबंधित प्रशिक्षण भी दिया जा रहा हैं.