दिल्ली/२४ मार्च- यूएपीए कानून के बारे में उच्चतम न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया हैं. गैर कानूनी संगठन के सदस्य रहने पर भी अपराध माना जाएगा. इससे पहले केवल सदस्य रहना गुनाह नहीं रहने का निर्णय कोर्ट ने दिया था. वह निर्णय आज ३ न्यायाधीशों की पीठ ने बदल दिया हैं.
गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून यूएपीए अनेक बदलाव के कारण विवादों में रहा हैं. किसी व्यक्ति या संगठन को आतंकी बताकर कार्रवाई इसी कानून के तहत की जाती हैं. यह कानून १९६७ में लागू हुआ था. अबतक ६ बार संशोधन किया गया हैं. हर संशोधन के बाद कानून और कडक होता गया. यूएपीए भारत की अखंडता, सुरक्षा और सार्वभौमत्व को खतरे में लाए जाने पर इस कानून के तहत कार्रवाई होती हैं. साधी भाषा में कहे तो आतंकी कार्रवाई करना या उसमें सहभागी होना यूएपीए अंतर्गत आता हैं. कानून के तहत किसी व्यक्ती पर भी कार्रवाई हो सकती हैं. यह संशोधन २०१९ में किया गया था. विपक्ष ने इसका विरोध किया था. फिर भी संशोधन पास किया गया.