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पहली कक्षा में प्रवेश की आयु 6 वर्ष से अधिक अनिवार्य

केंद्रीय शिक्षण मंत्रालय के राज्यों को फिर से निर्देश

नई दिल्ली दि.23 – कक्षा पहली के प्रवेश की आयु 6 वर्ष से अधिक रहने का प्रावधान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है. इसके मुताबिक सभी राज्यों को निर्णय लेने के निर्देश केंद्रीय शिक्षण मंत्रालय के अधीन आनेवाले शालेय शिक्षण व साक्षरता विभाग ने सभी राज्यों को फिर से एक बार दिए है.
नई राष्ट्रीय नीति में कहा गया है कि 3 से 8 वर्ष की आयु के बालकों को मिलने वाला शिक्षण उनकी नींव मजबूत करने के लिए काफी महत्व का रहता है. इस कारण शालेय शिक्षा शुरु होने के पूर्व के 3 वर्ष और कक्षा 1, 2 की शिक्षा की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए. इस विषय निमित्त केंद्रीय शिक्षण मंत्रालय व्दारा कहा गया है कि शालेय शिक्षा की शुरुआत होने के पूर्व के 3 साल छोटे बच्चे सरकारी अंगनवाडी अथवा सरकारी अनुदान पर चलनेवाली अंगनवाडी, निजी, बिना अनुदानित बालवाडी में पढते है. वहां उन्हें अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए. 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को पढाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्त किए जाए. बच्चों के विकास के लिए उन्हें उचित पद्धति से शिक्षण देने की जिम्मेदारी शिक्षकों व्दारा पूरी की जानी चाहिए ऐसा भी केंद्रीय शिक्षण विभाग ने कहा है.

* दो साल का डिप्लोमा
शालेय पूर्व शिक्षण कालावधि में विद्यार्थियों को किस पद्धति से पढाया जाए इस बाबत दो वर्ष कालावधि का डिप्लोमा शिक्षकों के लिए शुरु करने की सूचना भी केंद्रीय शिक्षण मंत्रालय ने की है. एससीईआरटी नामक संस्था व्दारा इस डिप्लोमा का अभ्याक्रम तैयार किया जाए और इस अमर डिस्ट्रीक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ एज्युकेशन एण्ड ट्रेनिंग मार्फत करने के निर्देश भी दिए गए है.

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