* आंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने जताई आशंका
* दुनिया की चिंता बढी
दिल्ली/दि.22- इस समय पूरी दुनिया आर्थिक चुनौतियों से जुझ रही है और आर्थिक दिक्कतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. कोविड की महामारी और लॉकडाउन की वजह से दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था बेहद नीचले स्तर पर जा पहुंची थी. साथ ही दुनिया के कई देश और लगातार बढती महंगाई से त्रस्त हो गये है. दिनोंदिन बढती महंगाई की वजह से दुनिया में 7 करोड लोग गरीब हो जायेंगे. ऐसी आशंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आयएमएफ) द्वारा जताई गई है. जिससे पूरी दुनिया की चिंता बढ गई है.
आयएमएफ की मुखिया क्रिस्टिलीना जिर्योजिएवा ने एक ब्लॉग के जरिये महंगाई के प्रभाव को लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि, वर्ष 2022 तो अपने आप में मुश्किलभरा साल है ही, लेकिन वर्ष 2023 और भी अधिक मुश्किलों भरा साल रहेगा.
5% + महंगाई का सामना फिलहाल दुनिया के कई गरीब देशों को करना पड रहा है.
वर्ष 2022 कई संकटों से भरा हुआ रह सकता है.
वर्ष 2023 में जबर्दस्त आर्थिक मंदी आ सकती है.
7.1% देशों में इस समय मोटे तौरे पर महंगाई बढ रही है.
7.5% फीसद विकास दर का अनुमान इससे पहले दर्शाया गया था.
7.2% फीसद विकास दर एशियाई विकास बैंक ने भारत का दर्शाया है.
* कई देशों में अस्थिरता का भय
क्रिस्टिलीना ने बढती महंगाई को लेकर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि, पूरी दुनिया में महंगाई की दर इस समय अपने सर्वोच्च स्तर पर है. साथ ही रूस और युक्रेन के बीच लगातार चल रहे युध्द की वजह से महंगाई में और भी अधिक इजाफा हुआ है.
अधिकांश गरीब देशों को पांच फीसद से अधिक महंगाई का सामना करना पड रहा है और आनेवाले कुछ दिनों के दौरान महंगाई को लेकर स्थिति और भी बिकट हो सकती है. जिसके चलते कई देशों में सामाजिक स्तर पर अस्थिरता का निर्माण हो सकता है. ऐसी आशंका भी आईएमएफ की मुखिया क्रिस्टिलीना जिर्योजिएवा द्वारा जतायी गई है.
* वैश्विक उर्जा संकट का भी खतरा
यूरोप में नैसर्गिक वायू आपूर्ति में रहनेवाली बाधा दुनिया के कई देशों की अर्थ व्यवस्था को भीषण मंदी की खाई में ढकेल सकती है. जिससे वैश्विक स्तर पर उर्जा संकट पैदा हो सकता है. इस वजह से वर्ष 2022 काफी मुश्किल हो जायेगा और वर्ष 2023 में मंदी का खतरा बढेगा. यद्यपि प्रमुख मध्यवर्ती बैंकों ने स्थिति को संभालने के लिए बडे पैमाने पर आर्थिक रूप से कठोर नीतियां अपनायी है, लेकिन इसके बावजूद महंगाई लगातार बढती जायेगी.
– क्रिस्टिलीना जिर्योजिएवा
प्रमुख, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष