नई दिल्ली/दि. 16 – पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की चर्चा तो हर तरफ होती है, लेकिन यह महंगाई सिर्फ ईंधन तक सीमित नहीं है. खाद्य तेल, दाल, सब्जियां और अन्य आम जरूरत की चीजों के दाम काफी बढ़ गए हैं. पिछले तीन महीनों की बात करें तो इन आम जरूरत की चीजों के दाम लगभग दोगुना हो चुके हैं. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पहले से ही आम इंसान परेशान है. अब इस बढ़ती महंगाई की वजह से उनका जीना और भी ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है.
इस बढ़ती महंगाई का एक कारण लगातार बढ़ रही ईंधन की कीमतें हैं. तीन महीने पहले मुंबई में 88.50 रुपए प्रति लीटर डीजल मिल रहा था, जो अब 94.50 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है. तीन महीने में डीजल की दर प्रति लीटर 6 रुपए बढ़ गई है. इससे माल ढुलाई का खर्चा बढ़ गया है. हालांकि माल ढुलाई का भाड़ा बढ़ाने का निर्णय बॉम्बे गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने अब तक नहीं लिया है, फिर भी टेंपो व ट्रक चालकों ने व्यक्तिगत तौर पर भाड़ा बढ़ा दिया है.
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डीजल के दाम 40 प्रतिशत बढ़े
डीजल की दर पिछले छह महीने में 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इसकी तुलना में माल ढुलाई की दरों में भी 25 प्रतिशत तक की बढोत्तरी हो गई है. डीजल की दरों में कमी नहीं हुई तो अब बॉम्बे गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी माल ढुलाई के भाड़े में बढ़ोतरी पर गंभीरता से विचार करने की बात कह दी है.
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डीजल की दरों ने माल ढुलाई का खर्चा बढ़ाया
मुंबई शहर व उपनगरों सहित मीरा-भाइंदर, पालघर, कल्याण-डोंबिवली जैसे सभी इलाकों में हर-रोज़ सब्जियां, फल, अनाज की सप्लाई नवी मुंबई से की जाती है. मुंबई शहर और उपनगरों में ज्यादातर ढाई से चार टन वजन वाले छोटे टेंपो उपलब्ध हैं. ये टेंपोवाले अब तक सब्जियों और फलों को छोड़ कर अन्य चीज़ों के लिए प्रति वस्तु 22 रुपए वसूलते थे. अब इसके लिए वे 26 से 28 रुपए वसूलने लगे हैं. इसी तरह सब्जियों की बात करें तो 50 किलो की ढुलाई के लिए अब तक 15 रुपए प्रति बंडल का भाव था, जो बढ़ कर अब 22 रुपए हो गया है. इस तरह नवी मुंबई से आने वाली सब्जियों का खर्च प्रति किलो करीब 12 रुपए बढ़ गया है. अन्य चीजों की ढुलाई का खर्च भी प्रति किलो 8 रुपए बढ़ गया है.
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दालें और खाद्य तेल आम आदमी की हैसियत से बाहर
लॉकडाउन जैसे हालात होने की वजह से दालों की मांग कम हुई है. इसके बावजूद दाल की दर तेजी से बढ़ी है. तीन महीने पहले जो दाल करीब 100 रुपए किलो मिल रही थी वो अब 150 रुपए किलो मिल रही है. खाद्य तेल की दरों और उनकी उपलब्धता का तालमेल भी बिलकुल गड़बड़ा गया है. भारत में हर साल 60 प्रतिशत खाद्य तेल आयात होता है. यह आयात 25 से 30 प्रतिशत तक घट गया है. इसलिए तीन महीने पहले जो खाद्य तेल 110 से 125 रुपए में आते थे, उनके लिए अब 180 से 200 रुपए देने पड़ रहे हैं. एक तरफ खाद्य तेल का आयात घटा है तो दूसरी तरफ इस पर 5 प्रतिशत जीएसटी भी लगता है. अगर जीएसटी भी हटा ली जाए तो आम आदमी को बहुत राहत मिल सकती है.
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इस तरह से तीन महीनें में महंगाई बढ़ी
अगर हम पिछले तीन महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो जो खाद्य तेल तीन महीने पहले 90 से 110 रुपए प्रति लीटर मिल रहा था वो दो महीने पहले 110 से 140 रुपए प्रति लीटर हो गया और एक महीने पहले इसका भाव बढ़ कर 145 रुपए से 225 रुपए प्रतिलीटर तक पहुंच गया. इसी तरह अगर हम दाल की बात करें तो तीन महीने पहले जो दाल 85 से 110 रुपए प्रति किलो मिला करती थी, उसका दाम दो महीने पहले 100 से 125 रुपए प्रति किलो हो गया और पिछले महीने वही दाल 140 से 160 रुपए प्रति किलो मिलने लगी. इसी तरह सब्जियों के दाम भी बढ़े. तीन महीने पहले जो सब्जी 30 से 40 रुपए किली मिल रही थी, दो महीने पहले उसका दाम 40 से 60 रुपए किलो हो गया और पिछले महीने वही सब्जी 80 से 100 रुपए किलो मिलने लगी.