नई दिल्ली/दि.23 – फर्जी टीआरपी स्कैम मामले में वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट ने टीआरपी स्कैम मामले में अपनी तीसरी चार्जशीट मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश की है. इस चार्जशीट में जांच टीम की तरफ से कहा गया है कि वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी ने ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के तत्कालीन सीईओ पार्थो दासगुप्ता के साथ मिलकर रिपब्लिक टीवी की रेटिंग बढ़ाने के लिए टीआरपी से तकनीकि छेड़छाड़ की थी. मुंबई पुलिस ने सबूत के लिए अर्णब गोस्वामी और पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सऐप चैट की डिटेल को आधार बनाया है. अपनी हालिया चार्जशीट में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ के अलावा चैनल ग्रुप के 6 अन्य कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया है. चार्जशीट में कहा गया है कि ‘हमें इस बात के सबूत मिले हैं कि गोस्वामी और दासगुप्ता के बीच बार्क के बारे में कुछ निजी जानकारियों का आदान-प्रदान किया गया. ऐसा गोस्वामी के चैनल को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था.
मुंबई पुलिस के अनुसार वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार अर्णब गोस्वामी ने रिपब्लिक टीवी चैनल की रेटिंग सुधारने के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के तत्कालीन सीईओ पार्थो दासगुप्ता के साथ मिलकर टीआरपी में गैरकानूनी तरीके से छेड़खानी की तथा इस काम में मदद देने के लिए दासगुप्ता को पैसा भी दिया. मुंबई पुलिस की ओर से अदालत में दायर पूरक आरोप-पत्र में यह दावा किया गया है. पुलिस ने आगे कहा कि उनके पास ऐसे साक्ष्य है जो बताते हैं कि टीआरपी में छेड़छाड़ करने में सहायता के बदले गोस्वामी ने दासगुप्ता को भुगतान भी किया और यह दासगुप्ता के आवास से बरामद हुए गहनों और महंगी वस्तुओं से साबित होता है. इससे पहले के आरोप-पत्र में भी दासगुप्ता का नाम आरोपी के तौर पर शामिल था. उन्हें पिछले वर्ष दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था और अभी वह जमानत पर हैं. इस साल मार्च में बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस से सवाल किया था कि अगर जांचकर्ताओं का यह मानना है कि उसके पास गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं तो उन्हें इसमें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया. गोस्वामी और एआरजी आउटलियर मीडिया ने पिछले साल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके कथित टीआरपी कांड में कई राहतों का अनुरोध किया था.