नई दिल्ली/दि. 23 – अफगानिस्तान के पूर्व मंत्री मसूद अंद्राबी ने कहा है कि देश छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की जान को कोई ‘खतरा’ नहीं था. वह उसी दिन देश से चले गए, जब तालिबान ने काबुल में प्रवेश किया था. एक चैनल से बात करते हुए मसूद ने कहा कि गनी ने जान को खतरा होने का झूठा दावा किया है और देश छोड़ने की उनकी योजना के बारे में उनके चीफ ऑफ स्टाफ तक को कोई जानकारी नहीं थी.
मसूद अंद्राबी ने कहा, ‘जिस दिन राष्ट्रपति (अशरफ गनी) देश छोड़कर भागे, तब राष्ट्रपति भवन में कोई तालिबान नहीं था. जो भी उन्होंने कहा वह पूरी तरह गलत है. फैसला (देश से जाने का) उनकी सिक्योरिटी कैबिनेट ने नहीं लिया है. उनके जाने की योजना के बारे में उन्हीं के चीफ ऑफ स्टाफ तक को नहीं पता था. राष्ट्रपति को किसी तरह का खतरा नहीं था. उस दिन सुबह 10 बजे उन्होंने एनडीएस (नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्योरिटी) और चीफ ऑफ स्टाफ के साथ बैठक की, तब इस खतरे को लेकर कोई बात नहीं हुई.’
मसूद अंद्राबी को मार्च 2021 में अशरफ गनी सरकार ने आलोचना के बीच पद से हटा दिया गया था. अंद्राबी ने कहा कि तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा अफगान सरकार, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की गलत गणना की वजह से हुआ है. उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से सरकारी राजनीतिक ढांचा विफल हुआ है, उसने एएनडीएसएफ (अफगान नेशनल डिफेंस एंड सिक्टोरिटी फोर्स) के लिए कोई आश्रय ही नहीं छोड़ा था. कमान की चेन यानी खुद राष्ट्रपति ही परेशान हो गए.’
अंद्राबी के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी का अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर लंबी अवधि में प्रभाव पड़ेगा. वह कहते हैं, ‘तालिबान डर और कट्टरपंथी इस्लामवादियों पर बढ़ता है और अल-कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के साथ उनके बहुत करीबी संबंध हैं. इस तरह वो आज सत्ता में आने में कामयाब रहे हैं. वो आत्मघाती हमले और क्रूरता कर रहे हैं. क्या आपको लगता है कि वो ऐसा करना बंद कर देंगे? अगर कर दें, तो वो जमीन खो देंगे. मुझे लगता है कि वो अपना रिश्ता आतंकवाद से बनाए रखेगा और दुनिया के लिए भी खतरा बना रहेगा.’