ब्लैक, व्हाइट फंगस के बाद भारत में एस्परगिलोसिस के मामले आए सामने
एलर्जी की रिएक्शन, या एस्परगिलस फंगस की वजह होने वाला फंगल ग्रोथ
नई दिल्ली/दि. 29 – ब्लैक और व्हाइट फंगस के बाद, COVID-19 से ठीक होने के बाद के लक्षणों में एक नया फंगस उभरा है. गुजरात के वडोदरा जिले में ‘एस्परगिलोसिस’ के रूप में जाना जाने वाला नया फंगस बताया गया है. 27 मई को संक्रमण के कुल 8 मामले सामने आए. यहां आपको इसके बारे में जानने की जरूरत है.
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एस्परगिलोसिस क्या है?
एस्परगिलोसिस एक संक्रमण, एलर्जी की रिएक्शन, या एस्परगिलस फंगस की वजह होने वाला फंगल ग्रोथ है, जो आमतौर पर मृत पत्तियों और सड़ने वाली वनस्पति पर बढ़ता है. हालांकि, हम तकरीबन रोज ही फंगस का सामना करते हैं, बीमारी का कॉन्टैक्ट करना बहुत आम नहीं है. इससे कमजोर इम्यून सिस्टम या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों को संक्रमित करने की ज्यादा संभावना होती है- दोनों ही COVID-19 रोगियों में आम हैं.
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एस्परगिलोसिस के टाइप्स और लक्षण-
1. एलर्जी ब्रोंकोपुलमोनरी एस्परगिलोसिस (एबीपीए) : सांस की तकलीफ, खांसी, बुखार, घरघराहट
2. एलर्जिक एस्परगिलस साइनसाइटिस : बहती नाक, सूंघने की क्षमता में कमी, भरापन, सिरदर्द
3. एस्परगिलोमा : सांस लेने में तकलीफ, खांसी, खांसी से खून आना
4. क्रोनिक पल्मोनरी एस्परगिलोसिस : थकान, वजन कम होना, सांस लेने में तकलीफ, खांसी खून
5. इनवेसिव एस्परगिलोसिस : ये आमतौर पर उन लोगों में होता है जो पहले से ही COVID-19 जैसी दूसरी मेडिकल कंडीशन्स से बीमार हैं. इसके लक्षणों में बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, खांसी और खांसी से खून आना शामिल हैं. हालांकि, दूसरे लक्षण विकसित हो सकते हैं अगर संक्रमण फेफड़ों से शरीर के दूसरे भागों में फैलता है.
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एस्परगिलोसिस कैसे होता है?
COVID-19 रोगियों में कई फंगल संक्रमणों के प्रमुख वजहों में से एक स्टेरॉयड का इस्तेमाल और कम इम्यूनिटी है. एक दूसरे कंट्रीब्यूटिंग फैक्टर ऑक्सीजन की सप्लाई को हाइड्रेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला non-sterile पानी हो सकता है.
ये सलाह दी जाती है कि बहुत ज्यादा धूल वाले क्षेत्रों से बचें और ऐसी एक्टिविटी से बचें जिनमें मिट्टी या धूल के नजदीक कॉन्टैक्ट शामिल हो. इसके अलावा, अगर आपको आक्रामक एस्परगिलोसिस (अंग प्रत्यारोपण या स्टेम सेल प्रत्यारोपण की वजह से) डेवलप होने का हाई रिस्क है, तो आपके डॉक्टर संक्रमण को रोकने के लिए दवा लिख सकते हैं. ब्लड टेस्ट के जरिए संक्रमण के लिए जल्दी टेस्ट करने से भी फायदा हो सकता है.
जबकि एस्परगिलोसिस का इलाज आमतौर पर वोरिकोनाजोल से किया जाता है, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार हाल ही में डॉक्टर एक एंटीफंगल दवा- इसावुकोनजोल के साथ रोगियों का इलाज कर रहे हैं. इलाज से अगर इनफेक्शन ठीक नहीं हो पा रहा है तो इसके लिए एक्सपर्ट्स के मार्गदर्शन की जरूरत होती है, जिसमें एंटिफंगल-प्रतिरोधी संक्रमण भी शामिल है.