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दक्षिणी राज्यों में न्यायालयीन प्रक्रिया की उपलब्धता सर्वाधिक

कर्नाटक आगे, अन्य राज्य पहले पांच में , महाराष्ट्र का 11 नंबर

नई दिल्ली/दि. 5-नागरिको को न्याय का अवसर उपलब्ध कर देने में (अ‍ॅक्सेस टू जस्टिस ) देश में दक्षिणी राज्य आगे है. कर्नाटक में न्यायालयीन प्रक्रिया की उपलब्धता सबसे अधिक है. अन्य राज्य भी पहले पांच में है. दी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 इस रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. दिल्ली और चंडीगढ इस केंद्रशासित प्रदेश अंतर्गत अन्य कोई भी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश न्याय व्यवस्था के लिए कुल आय का एक प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं करते. अधिकांश जगहों पर उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति के 30 प्रतिशत पद रिक्त है.ऐसा भी इस रिपोर्ट में दर्ज किया गया है. टाटा ट्रस्ट की ओर से सन 2019 से यह रिपोर्ट तैयार की जाती है. केंद्र की ओर से न्याय यंत्रणा के लिए मिलनेवाली निधि का उसी कारण के लिए पूरा-पूरा उपयोग कोई भी राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश नहीं करता. इस रिपोर्ट में उंगली उठाई गई है.
*न्यायिक अवसर अधिक होनेवाले छोटे राज्य
सिक्कीम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा
* राज्य के मानांकन के निकष कौन से ?
न्यायपालिका के रिक्त पद, न्यायपालिका के लिए बजट का प्रावधान, मूलभूत सुविधा, उपलब्ध मनुष्यबल, कानूनी सहयोग, कारागृह की स्थिति, पुलिस और राज्य मानवी हक्क आयोग का कारभार
* न्यायिक अवसर अधिक होनेवाले बडे राज्य
कर्नाटक, तमिलनाडू, तेलांगण, गुजरात, आंध्रप्रदेश
* कारागृह की स्थिति
– देश के कारागृह में क्षमता से अधिक 130 प्रतिशत कैदी
-771. प्रतिशत कैदियों में मामले में जाच अथवा सुनवाई अपूर्ण
* न्याय यंत्रणा में अडचने
– बजट का प्रावधान कम होना, पुलिस, कारागृह कर्मचारी, न्यायिक सहयोग और न्यायालय के पद रिक्त
* महाराष्ट्र की स्थिति क्या ?
-न्यायिक अवसर अधिक उपलब्ध होनेवाले राज्य में महाराष्ट्र का 11 वां नंबर
– समस्याओं का निराकरण करने के संबंध में मुंबई उच्च न्यायालय में दूसरा नंबर
– मुंबई उच्च न्यायालय की समस्याओं का निराकरण करने का प्रमाण 72 प्रतिशत
* क्या कहती है रिपोर्ट ?
– दिसंबर 2022 देश में दर 10 लाख व्यक्ति में 19 न्यायाधीश
– देशभर में 4.8 करोड मामले प्रलंबित
-न्यायिक आयोग ने 1987 में ऐसी शिफरिस की थी्र की दल 10 लाख जनसं या में 50 न्यायधीश ऐसे प्रमाण होना चाहिए.
* पुलिस की स्थिति
– महिला पुलिस के प्रमाण विगत दशक में दुगने होकर भी कुल कर्मचारियों की तुलना महिला केवल 11.75 प्रतिशत
– महिला अधिकारियों के प्रमाण कुल अधिकारियों की तुलना में केवल 8 प्रतिशत
– पुलिस दल के लगभग 29 प्रतिशत पद रिक्त
– दर एक लाख जनसं यामें केवल 15.8 पुलिस (अंतर्राष्ट्रीय मापदंड 222)
– भारत की जनसं या – लगभग 1.4 अब्ज
– देशभर के न्यायधीशों की सं या – 20,076,
– न्यायधीशों के रिक्त पदों के प्रमाण -22 प्रतिशत
– उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के रिक्त पद-30 प्रतिशत

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