नई दिल्ली/ दि. २२ – केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को पेश किया. इस पर बाद में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की ओर चर्चा की शुरुआत की गई.
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 पर बोलते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करती है. संविधान का अनुच्छेद 239ए (ए) दिल्ली सरकार के अधिकारों को स्पष्ट करता है. दिल्ली में भूमि, पुलिस और कानून व्यवस्था अभी भी केंद्र सरकार है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भी 2018 में दिल्ली सरकार के अधिकारों को स्पष्ट किया है.
मनीष तिवारी ने कहा कि इसमें आपने एक और संशोधन जोड़ दिया है कि दिल्ली विधानसभा की प्रोसीडिंग लोकसभा के अनुरूप होंगी. जब दिल्ली विधानसभा में कैसे काम हो ये भी वो तय नहीं कर सकती तो फिर दिल्ली विधानसभा की जरूरत क्या है?
मनीष तिवारी पर पलटवार करते हुए बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने उन्हें याद दिलाया कि देश में क्वासी फेडरलिज्म है जो कुछ मामलों में केंद्र सरकार के महत्व को बरकरार रखता है. इसलिए ये बिल दिल्ली में शक्ति के संतुलन को स्थापित करता है. LG की शक्तियों को स्पष्ट करता है. उन्होंने विधानसभा के नाम सदन में कहा कि क्या कोई विधानसभा संसद के नियमों को बदल सकती है. दिल्ली सरकार ने 2017 में ऐसा करके दिखाया.
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अक्सर कहते हैं कि वह दिल्ली के मालिक हैं. लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वह सेवक हैं, दिल्ली के मालिक नहीं. दिल्ली की जनता दिल्ली की मालिक है. ये बिल दिल्ली की जनता के अधिकारों की रक्षा करता है.
इस विधेयक को लेकर सुप्रिया सुले ने कहा कि दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को तीन बार सत्ता सौंपी, तो इसका मतलब कुछ तो ढंग का आम आदमी पार्टी करती होगी.
सदन में आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कहा बीजेपी 22 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है. अब वह विपक्ष में बैठने की आदत भूल रही है. आप चुनाव लड़े हार गए तो ये लाट साहब का डंडा क्यों लाया जा रहा है. दिल्ली के LG जिस घर में रहते हैं वहां कभी वायसराय रहा करते थे शायद भाजपा उन्हीं वायसराय की आत्मा से प्रभावित होकर ये विधेयक लाई है. सरकार का ये संशोधन अलोकतांत्रिक और लोकतंत्र की हत्या करने वाला है.
विधेयक पर चर्चा का जवाब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि लोगों को ये समझना चाहिए कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए इसकी तुलना अन्य राज्यों से नहीं होना चाहिए. 1991 में दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश कांग्रेस ने बनाया. कांग्रेस ने बालकृष्ण समिति के आधार पर दिल्ली के प्रशासनिक ढांचा बनाया. दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश के साथ-साथ सीमित कार्यकारी शक्तियां दी गई हैं.
शक्तियों पर स्पष्टीकरण के लिए कुछ लोग उच्च न्यायालय भी गए. हम ये संशोधन इन्हीं शक्तियों को स्पष्ट करने के लिए लाए हैं. उपराज्यपाल को प्रशासनिक शक्तियां पिछली कांग्रेस सरकार ने दी हमने नहीं दी. गलत तथ्य फैलाए जा रहे हैं. हम ना तो दिल्ली सरकार के कोई अधिकार छीनने जा रहे हैं ना ही उपराज्यपाल को कोई नई शक्तियां दे रहे हैं. हम संविधान में कोई संशोधन नहीं कर रहे हैं बल्कि शक्तियों को स्पष्ट कर रहे हैं.
इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘भाजपा ने दिल्ली के लोगों को धोखा दिया है.संशोधित बिल का पास होना दिल्ली वालों का अपमान है. ये बिल उन लोगों से ताकत छीन लेगा जिन्हें जनता ने चुना और उन लोगों को पावर देगा जिन्हें दिल्ली की जनता ने हरा दिया था.’