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पश्चिम बंगाल में सीटें बढ़ने के बावजूद अगले साल राज्यसभा में भाजपा की कुल 96 सीटें ही होंगी

नई दिल्ली/दि. 3 – पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा राज्यसभा में जल्द ही सीटें बढ़ाने में मददगार साबित नहीं हो पाएंगी, क्योंकि हाल-फिलहाल में राज्य की कोई सीट खाली नहीं हो रही है. राज्यसभा में भाजपा की एक सीट अगले साल ही बढ़कर 96 हो पाएगी.
राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार उच्च सदन में भाजपा के पास अभी कुल 95 सदस्य हैं, जिनकी मौजूदा ताकत 240 ही है. हालांकि अगले साल 2022 में 78 सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इनमें अहम सदस्य केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल हैं.
ब्रोक्रेज कोटक इंस्टीट्यूट एक्विटीज की इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में होने वाले राज्यसभा चुनावों में भाजपा को कुछ ज्यादा फायदा होने के आसार कम हैं. चूंकि उत्तर प्रदेश में बढ़त के बावजूद वह आंध्र प्रदेश और राजस्थान से सीटें गवां देगी. जबकि निर्वाचन के लिए पश्चिम बंगाल की कोई सीट खाली नहीं हुई है.
कोविड की दूसरी लहर के बीच चार में से तीन राज्यों में सत्तारूढ़ दलों ने विपक्षियों को हराया है. तृणमूल ने दो-तिहाई बहुमत से सत्ता पर काबिज रहने में कामयाबी हासिल की है. विधानसभा की कुल 292 सीटों में से उसने 213 सीटें जीतीं जबकि भाजपा ने पिछली बार के तीन विधायकों के मुकाबले इस बार अपने 77 विधायक जिता दिए.
इसीतरह तमिलनाडु में द्रमुक ने अपने कांग्रेस गठबंधन के साथ अन्नाद्रमुक (भाजपा गठबंधन) को हराकर कुल 234 सीटों में से 155 सीटें जीत लीं. केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने बड़ी आसानी से 140 में से 97 सीटें जीत लीं. वहीं भाजपा भी असम में 126 में से 74 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज रहने में कामयाब रही.
इसलिए वर्ष 2022 में राज्यसभा में होने वाले चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को केवल एक सीट से कुल 96 सीटों तक ही पहुंचने की उम्मीद है. चूंकि राज्यसभा में अगले चुनाव से पहले ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च 2022 में होने हैं.
इसके अलावा, भाजपा का मजबूत किला माने जाने वाले राज्यों गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी अगले विधानसभा चुनाव होने में 12 महीने बाकी हैं. वर्ष 2019 से लेकर अब तक भाजपा कई राज्यों में चुनाव हार चुकी है. राजग सरकार ने पिछले कुछ सालों में आर्थिक सुधार के कई कदम उठाए हैं. भविष्य में भी वह इसी दिशा में आगे बढ़ने वाली है. लेकिन कोविड के हालात के चलते केंद्र सरकार की छवि पर विपरीत असर हो रहा है.

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