नई दिल्ली/दि. 22 – चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर अब तक सीजफायर का पालन किया गया है, जो कि सकारात्मक संकेत है. पाकिस्तानी सेना सीजफायर पर सहमत क्यों हुई? इस सवाल के जवाब में जनरल रावत ने कहा कि पिछले दो सालों में सीजफायर का बेहताशा उल्लंघन किया गया था, जिसमें छोटे हथियार से लेकर उच्च क्षमता वाले हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तानी सेना की रक्षा ढांचे को काफा नुकसान पहुंचा है, उन्होंने कई जवानों को खोया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में जनरल रावत ने सीजफायर को लेकर कहा, “उनके जवान गांवों के काफी नजदीक से गोलीबारी करते थे, इसलिए कभी वहां रह रहे लोगों और जानवरों को भी नुकसान पहुंचा. जबकि हम नियंत्रण रेखा पर अपनी आबादी से काफी अलग हैं. जब गोलीबारी होती थी, तो उधर के नागरिकों की तरफ से भी दबाव बन रहा था कि सीजफायर लागू हो. ये एक कारण हो सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “आज पाकिस्तान का वेस्टर्न फ्रंट भी काफी सक्रिय है और उसकी आंतरिक सुरक्षा सही स्थिति में नहीं है. अगर आप पाकिस्तान के साथ हो रही इन सब दिक्कतों को देखेंगे, इन सभी चीजों ने उनके नेतृत्व को यह सोचने पर मजबूर किया होगा कि भारत के साथ शांति बनाए रखना ही बढ़िया तरीका है. अगर वे शांति चाहते हैं और यह लंबे समय तक रहता है, तो यह दोनों देशों खासकर, पाकिस्तान के लिए बढ़िया होगा.” उन्होंने सीजफायर के बाद हथियारों की तस्करी और घुसपैठ को लेकर कहा, “इसी दौरान, हम हथियारों और गोला बारूद की तस्करी और ड्रोन के इस्तेमाल को भी देख रहे हैं. यह शांति के लिए सही नहीं है, क्योंकि ड्रग्स और हथियारों की सप्लाई से आंतरिक शांति प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है. अगर आंतरिक शांति प्रक्रिया बाधित होती है तो हम नहीं कह सकते कि सीजफायर कायम है. सीजफायर का अर्थ यह नहीं है कि आप सिर्फ सीमा पर संघर्षविराम जारी रखें और उसी वक्त आंतरिक इलाकों में समस्या पैदा करें. हम पूरे जम्मू-कश्मीर में शांति चाहते हैं.” लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की हालिया गतिविधियों को लेकर जनरल रावत ने कहा कि भारत के साथ सीमा पर गलवान और दूसरे इलाकों की घटना (मई-जून 2020) के बाद चीनी तैनाती में बदलाव आया है. उन्होंने कहा, “इन घटनाओं के बाद उन्हें यह समझ आया है कि उन्हें बेहतर तरीके से ट्रेन्ड होने और तैयारी की जरूरत है.” सीडीएस ने आगे कहा, “उनके जवान मुख्य रूप से सिविलियन स्ट्रीट से आते हैं. उन्हें कम समय के लिए भर्ती किया जाता है. उन्हें इन इलाकों में लड़ाई का ज्यादा अनुभव नहीं होता है. यह एक दुर्गम देश है, पहाड़ी इलाके हैं. आपको इसके लिए स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत होती है, जिसमें हमारे जवान माहिर हैं क्योंकि हमारे यहां पहाड़ी युद्ध क्षेत्रों के लिए काफी ट्रेनिंग होती है. जबकि चीनी सेना के साथ ऐसा नहीं है. हमें चीन की हर गतिविधि पर नजर रखने की जरूरत है. ऐसा करते हुए, हमें LAC पर शांति भी कायम करना है.”
जनरल बिपिन रावत ने कहा, “मुझे भरोसा है कि जम्मू-कश्मीर के लोग शांति चाहते हैं. उन्होंने सालों से बहुत आतंकवाद और उग्रवाद को देखा है. लोग इलाके में खासकर अनुच्छेद-370 के खत्म होने के बाद शांति की राह देख रहे हैं. अगर यह जारी रहता है तो ऐसा समय आएगा जब लोग खुद हिंसा से दूर रहेंगे और घाटी में उग्रवाद को पनपने नहीं देंगे, क्योंकि स्थानीय लोगों के समर्थन के बिना आतंक और विद्रोह नहीं पनप सकता है.” उन्होंने कहा कि जिन युवाओं को गुमराह किया गया है, हमें उनकी पहचान करने की जरूरत है और यह देखना है कि उनके साथ कैसे बातचीत की जा सकती है और उन्हें इस बारे में समझाया जा सके कि आतंकवाद सही रास्ता नहीं है बल्कि शांति ही आगे का रास्ता है.
भारत और पाकिस्तान ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा पर सीजफायर समझौतों और आपसी सहमतियों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई थी. हालांकि भारतीय सेना ने यह भी कहा था कि आतंकवाद और घुसपैठ से लड़ने के लिए पाकिस्तान सीमा पर सैनिकों की तैनाती या सैन्य अभियानों में कमी नहीं की जाएगी.