औरंगाबाद दि.7 – अनुकंपा तत्व पर नियुक्त कर्मचारियों को जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना बंधनकारक नहीं होने का निर्णय औरंगाबाद खंडपीठ ने दिया है. नियमावली में कहीं भी अनुकंपा तत्व के कर्मचारियों को जाति वैधता प्रमाणपत्र बंधनकारक नहीं, वहीं इसलिए अनुकंपा का मुख्य उद्देश्य बाधित होगा, ऐसा निरीक्षण भी कोर्ट ने दर्ज किया है.
विद्युत मंडल में एएलएम के रुप में कार्यरत रहते संभाजी लक्ष्मण तोटेवाड का निधन हो गया. उनके पुत्र पांडुरंग संभाजी तोटेवाड ने अनुकंपा तत्व पर नौकरी के लिए आवेदन किया. महावितरण के औरंगाबाद परिमंडल कार्यालय ने 23 अप्रैल1997 को पांडुरंग को निम्नस्तर लिपिक के रुप में नियुक्ति दी. यह नौकरी अनुकंपा तत्व पर मिलने से जाति वैधता प्रमाणपत्र पडताल से छूट मिले, ऐसी विनंती उन्होंने 30 मई 2019 को कार्यालय से की. लेकिन महावितरण ने उन्हें 31 दिसंबर 2019 को अधिसंख्य पद पर वर्ग किया. सि आदेश को तोटेवाड ने एड. चंद्रकांत थोरात की ओर से खंडपीठ में आव्हान किया.
नियुक्ति अनुकंपा होने पर भी सेवा पुस्तिका में मन्नेरवारलू जाति दर्ज है. संबंधित जाति अनुसूचित जमाति इस संवर्ग में आती है. सेवा ज्येष्ठता सूची में अनुसूचित जमाति पंजीकृत होने की बात बिजली कंपनी ने स्पष्ट की. जिस पर अनुकंपा तत्व पर नौकरी में लेते समय अनुसूचित जाति, जमाति व अन्य पिछड़ावर्गीयों को वैधता प्रमाण पत्र बंधनकारक न होन का युक्तिवाद एड. थोरात ने किया. खंडपीठ ने वह ग्राह्य मानते हुए याचिकाकर्ता को अधिसंख्य पद पर वर्ग करने का निर्णय रद्द करने के आदेश दिए.