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सीबाआई अब करेगी एक्टर सुशांत सिंह मौत मामले की जांच

चार धुरंधर अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी

नई दिल्ली/दि.१९– एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को कथित तौर पर सुसाइड किया था. इसे लेकर महाराष्ट्र पुलिस और बिहार पुलिस अलग-अलग जांच कर रहीं थी. अब बिहार सरकार की सिफारिश पर मामला सीबीआई को ट्रांसफर हो चुका है.
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त को बड़े फैसले में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. 6 अगस्त को एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने इस मामले में विशेष जांच टीम (एसआईटी) बना दी है. इसका नेतृत्व गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर मनोज शशिधर करेंगे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. चार सदस्यों वाली एसआईटी टीम में गगनदीप गंभीर और नुपूर प्रसाद को भी रखा गया है ताकि महिला आरोपियों से पूछताछ में दिक्कत न हो. इस मामले में अनिल यादव जांच अधिकारी रहेंगे. यहां बता दें कि गुजरात कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अफसर मनोज शशिधर जनवरी में ही सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर बनाए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनके नाम पर मंजूरी दी थी. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मनोज शशिधर ने कई अहम पदों पर सेवाएं दी थी. सीबीआई में आने से पहले मनोज शशिधर गुजरात में डीजीपी, सीआईडी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के पद पर तैनात थे. इससे पहले वे पुलिस कमिश्नर (वडोदरा), डीसीपी क्राइम ब्रांच (अहमदाबाद) और जॉइंट कमिश्नर (अहमदाबाद) जैसे संवेदनशील पदों पर बखूबी काम कर चुके हैं. मनोज शशिधर पांच साल के लिए सीबीआई में डेपुटेशन पर आए हैं. इससे पहले विजय माल्या केस की जांच की निगरानी कर चुके हैं. उन्हें सीबीआई में नो-नॉनसेंस अधिकारी के तौर पर जाना जाता है. इसी तरह बिहार के मुजफ्फरपुर में पली-बढ़ीं गगनदीप गंभीर ने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. वहां भी टॉपर रही हैं. गुजरात कैडर की 2004 बैच की आईपीएस अफसर हैं और सीबीआई में उन्हें घोटालों की जांच में महारथी माना जाता है.
गंभीर बचपन से ही पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी. यूपीएससी परीक्षा में अच्छी रैंकिंग पाने के बाद भी उन्होंने आईएएस के बजाय आईपीएस को चुना और गुजरात कैडर की अधिकारी बनीं. वहीं नुपूर प्रसाद 2007 बैच की एजीएमयूटी कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं बिहार के गया जिले के टिकारी की रहने वाली नुपूर को सीबीआई की तेजतर्रार महिला अधिकारियों के रूप में गिना जाता है. डा.भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. दिल्ली पुलिस में डीसीपी शाहदरा के तौर पर 2007 में उन्होंने करियर शुरू किया. हाल ही में उन्हें प्रमोशन देते हुए एसपी बनाकर सीबीआई भेजा गया है. इसी तरह डीएसपी अनिल कुमार यादव मध्यप्रदेश से हैं. जब बात हत्या की जटिल जांच की आती हैं तो वे इसमें अपनी काबिलियत कई बार साबित कर चुके हैं. मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की मौत की जांच उन्होंने ही की है.यादव के साथ काम कर चुके एक अधिकारी का कहना है कि यह टीम सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड किया या उसका मर्डर हुआ है, यह बताने में यादव की भूमिका अहम रहेगी.
सीबीआई में सीनियर एसपी पद से रिटायर हुए मुकेश साहनी ने बताया कि मामले की जांच बिहार पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर होगी. अब सीबीआई, बिहार और महाराष्ट्र पुलिस की अब तक की जांच के आधार पर दस्तावेज जुटाएगी. इसमें कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), बैंक अकाउंट डिटेल्स आदि शामिल है.
बिहार पुलिस अब तक सुशांत के परिजनों के ही बयान ले सकी है. रिया समेत अन्य के बयान दर्ज नहीं हुए हैं. यह काम अब सीबीआई करेगी। मुंबई पुलिस से सीबीआई को सीसीटीवी फुटेज, पूछताछ के डिटेल्स, पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट, एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) रिपोर्ट्स जुटाने होंगे. डॉक्युमेंट्स जुटाने के बाद जांच अधिकारी एक्शन प्लान बनाएगा. उस पर सीबीआई के आला अफसर फैसला लेंगे कि जांच की दिशा-दशा क्या होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में स्पष्ट कहा है कि आत्महत्या के लिए उकसाने का दोष तभी सिद्ध होता है जब किसी न किसी तरीके से आरोपी की मंशा साबित होती हो. इस वजह से जांच को आगे बढ़ाने में यह एक आवश्यक शर्त होगी.
एफआईआर में आरोप लगाए गए हैं कि रिया और उसके रिश्तेदारों ने सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाया. जांच के जरिए सीबीआई को यह साबित करना होगा कि रिया का मोटिव (मंशा) यह था कि सुशांत सुसाइड कर लें.

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