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केंद्र वैक्सीन की आपूर्ति करने में नहीं है सक्षम

नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने मोदी सरकार की नीति पर उठाया सवाल

नई दिल्ली/दि.५-नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बिनायक बनर्जी ने केंद्र सरकार (Central Government) की वैक्सीन नीति (Vaccine Policy) और पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगातार हो रही वृद्धि पर सवाल उठाया है.पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने गुरुवार को कोरोना (Corona) की तीसरी लहर के मद्देनजर ग्लोबल एडवाइजरी कमेटी (Global Advisory Committee) के साथ बैठक की. इनमें नोबेल पुरस्कार अभिजीत बिनायक बनर्जी भी शामिल हुए. इस बैठक में कोरोना महामारी और तीसरी लहर से बचने के उपायों पर चर्चा की. इसी बैठक के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता यह टिप्पणी की.

अभिजीत बिनायक बनर्जी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि केंद्र देश के लिए टीकों की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं है. यदि पर्याप्त टीके होते, तो ये दावे नहीं उठते. हमें पूरे देश के लिए आपूर्ति का वादा किया गया स्तर नहीं मिला है. बता दें कि पश्चिम बंगाल की सीएम लगातार आरोप लगा रही हैं कि बंगाल को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं दिए जा रहे हैं.

अभिजीत बिनायक बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में काफी प्रयास किए गए हैं. यदि आप ऑक्सीजन की आपूर्ति सहित विभिन्न मुद्दों से परेशान हैं, तो आपको सांस की तकलीफ या बुखार होने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ऑक्सीजन की कमी नहीं है. राज्य में जांच की व्यवस्था है. गांव में भी डॉक्टर हैं. उनके पास पर्याप्त प्रशिक्षण है. कई लोग अंत में अस्पताल जाते हैं, तो बचाना मुश्लिक होता है.  उन्होंने कहा कि पिछले साल उत्सवों को ध्यान में रखकर एक प्रोटोकॉल बनाया गया था.अर्थव्यवस्था के संबंध में पूछे जाने पर नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि हमारे राज्य में बहुत से लोग बाहरी राज्यों में काम करते हैं. नतीजतन, राज्य अकेला कुछ नहीं कर सकता. इसलिए अगर पूरे देश की अर्थव्यवस्था सही जगह नहीं पहुंचती तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे. मेरा विचार है कि देश की जीडीपी घटकर 6/7 रहेगी.

पेट्रोल-डीजल की कीमत बढाने पर केंद्र की आलोचना की

पेट्रोल उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अगर सरकार ने अभी ऐसा रास्ता नहीं अपनाया होता तो बेहतर होता, लेकिन चूंकि कोविड की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी है, तो शायद केंद्र इस तरह से पैसा जुटाने की कोशिश कर रही है. पेट्रोल-डीजल पर सेस लगाकर आम आदमी पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाना ठीक नहीं है. जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार को अधिक नोट छापनी चाहिए. जिस तरह यूरोप या अमेरिका के विभिन्न देशों ने इस अर्थव्यवस्था के दौरान दौरान नोट अधिक छापकर अर्थव्यवस्था को संभाला है, उसी तरह केंद्र को अधिक नोट छापकर देश की अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के बारे में सोचना चाहिए.

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