केंद्रीय कैबिनेट ने संविधान संशोधन विधेयक मसौदे को दी मंजूरी
राज्य खुद बना सकेंगे ओबीसी सूची
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मानसून सत्र में ही विधेयक संसद में पेश किया जा सकता है
नई दिल्ली/दि.5 – केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को संभवत: उस संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी, जिसके तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पहले की तरह अपनी अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) सूची बना सकेंगे. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह शक्ति देनेवाला विधेयक संसद के मानसून सत्र में ही पेश किया जा सकता है.
दरअसल, बीती 5 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को आरक्षण देनेवाले महाराष्ट्र सरकार के कानून को रद्द कर दिया था. साथ ही 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमावाले 1992 के फैसले को बडी पीठ को भेजने से इनकार कर दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि अन्य पिछडा वर्ग की सूची केवल केेंद्र सरकार बना सकती है. तब केंद्र ने इस फैसले की समीक्षा की अपील की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. अब सरकार कोर्ट के फैसले को संविधान संशोधन के जरिये पलटने जा रही है. विपक्षी दलों ने केेंद्र पर राज्यों से अन्य पिछडा वर्ग की पहचान और उनकी सूची बनाने की शक्ति छिनते हुए संघीय ढांचे से छेडछाड का आरोप लगाया था. कांग्रेस ने कहा था कि संसद में बहस के दौरान संबंधित मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया था कि राज्यों का अधिकार छिनने का इरादा नहीं है. सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री वीरेंद्र कुमार ने पिछले महिने राज्यसभा में बताया था कि सरकार कानूनी विशेषज्ञों और कानून मंत्रालय से मशविरा कर रही है और राज्यों की शक्ति को सुरक्षित रखने का परीक्षण करा रही है.
संशोधित समग्र शिक्षा योजना को पांच साल के लिए और बढा दिया
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को स्कूल शिक्षा के लिए संशोधित समग्र शिक्षा योजना को पांच साल के लिए और बढा दिया. 1 अप्रैल 2021 से लागू योजना 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी. योजना से सरकारी, सहायता प्राप्त (प्री-प्राइमरी से सीनियर सेकंडरी तक) 11.6 लाख स्कूल, 15.6 करोड से अधिक विद्यार्थी और 57 लाख शिक्षकों को लाभ मिलेगा. कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार शिक्षा के बुनियादी ढांचे में तीन लाख करोड रूपए निवेश करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षा में चार बिंदुओं पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं. ये हैं समानता, गुणवत्ता, उपलब्धता और वहन करने की योग्यता.
अगले दो साल तक काम करते रहेंगे फास्ट ट्रैक विशेष कोर्ट
कैबिनेट ने 389 विशेष पोक्सो कोर्ट सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष कोर्ट को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2023 तक जारी रखने को भी मंजूरी दी है. इसके लिए 1572.86 करोड रूपए (केंद्रीय हिस्से से 971.70 करोड रूपए और राज्य के हिस्से से 601.16 करोड रूपए) की राशि तय की है. केंद्रीय हिस्से की राशि निर्भया फंड से दी जाएगी. योजना 2 अक्तूबर 2019 को शुरू की गई थी. फिलहाल ये कोर्ट 28 राज्यों में काम कर रहे हैं और सभी 31 पात्र राज्यों में इनके विस्तार का भी प्रस्ताव है.