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स्कूल बैग के बोझ से बच्चे पडे बीमार

स्कूल बैग नीति पर शालाओं व्दारा अमल नहीं

नई दिल्ली/दि.11- शाला शुरु होते ही छात्रों के स्कूल बैग का वजन बढ गया है. इस कारण शालेय छात्रों की पीठ, गर्दन, कंधे और सिरदर्द की शिकायतें लेकर पालक डॉक्टरों के पास पहुंचने लगे हैं.
देश में स्कूल बैग नीति वर्ष 2020 से लागू है. लेकिन शालाओं की लॉबिन के सामने अनेक राज्य सरकार कुछ करने तैयार नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 45 फीसद बच्चों की स्कूल बैग का वजन उनके वजन से 15 फीसद अधिक दिखाई दिया. इस कारण 23 फीसद छात्रों ने पीठदर्द की शिकायतें की है. अनेक राज्य में स्कूल बैग नीति चलाई जा रही है. लेकिन निजी शालाएं मनमाना कारोबार चला रही है. यूरोपीय देश में 8 साल तक विद्यार्थियों को किताबों की बजाए खेल के जरिए पढाया जाता है.

* छात्र करते हैं दर्द की शिकायत
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन 2022 में प्रकाशित हुए एक अभ्यास में बैग का वजन विद्यार्थियों के वजन से 16.5 फीसद अधिक पाया गया. अभ्यास किए 55.9 फीसद छात्रों ने वर्षभर पीठ, कंधे और सिरदर्द की शिकायतें की. इसमें से 21.3 फीसद छात्रों के रिश्तेदार डॉक्टरों के पास गए हैं.

* बच्चे कोई कंटेनर नहीं
मई 2018 में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘बच्चे भारी वजन ले जानेवाले कंटेनर नहीं हैैं’. अप्रैल 2019 में ओडिसा उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर राज्य को बच्चों के स्कूल बैग का वजन कम करने के आदेश दिए थे. उसी समय भोपाल न्यायालय ने 2022 में जिला शिक्षण विभाग को नोटिस भी दी थी.

* शालेय बैग का वजन कितना होना चाहिए?
कक्षा            वजन (किलो ग्राम)
1 से 2           1.6 से 2.2
3, 4,              5 1.7 से 2.5
6, 7              2.0 से 3.0
8                  2.5 से 4.0
9,10            2.5 से 4.0
11, 12          2.5 से 5.0
स्त्रोत-एनसीईआरटी

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