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चॉकलेट उद्योग पर भी संकट के बादल गहराने के आसार

आनेवाले ४० वर्षों में दुनिया से मिट जाएगा नामोनिशान

नई दिल्ली/दि.१७- देश में प्रतिवर्ष चॉकलेट की खपत लगातार बढ़ते जा रही है. भारत में 2002 में चॉकलेट की खपत जहां 1.64 लाख टन थी, वो 2013 में 2.28 लाख तक पहुंच गई. लेकिन अब चॉकलेट उद्योग पर जल्द ही संकट के बाद गहरा सकते हैं. यदि आप चॉकलेट खाने के शौकीन हैं तो जल्द भरपूर चॉकलेट खाकर अपनी इच्छा पूरी कर लें क्योंकि दुनिया में जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ते जा रही है. आशंका है कि चॉकलेट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कोक भी दुनिया से गायब हो जाए. ये दावा यूएस नेशनल ओसिएनिक एंड एटमोसफेयरिंक एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक यदि दुनिया में इसी तरह से ग्लोबल वॉर्मिग बढ़ती रही तो आने वाले 40 साल में दुनिया से चॉकलेट का नामोनिशान मिट जाएगा.
रिपोर्ट ने कहा गया है कि चॉकलेट के मुख्य स्रोत कोको की पैदावार के लिए 20 डिग्री से कम का तापामान होना चाहिए. सिर्फ इसी तापमान पर कोको की उचित पैदावार ली जा सकती है. यदि दुनिया में इसी तरह से तापमान में बढ़ोतरी होती रही तो आने वाले 40 साल में कोको की पैदावार कम हो सकती है. ऐसे में चॉकलेट बहुत ज्यादा महंगी होने की भी संभावना है. अमेरिकी संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते प्रदूषण, आबादी आदि के कारण धरती का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है. सभी विकसित देशों ने यदि अपना कार्बन उत्सर्जन कम नहीं किया तो ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम लगा पाना काफी मुश्किल हो जाएगा. इससे चॉकलेट उत्पादन उद्योग पर भी संकट के बादल छा सकती है.

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