नई दिल्ली/दि.8 – राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ में आदिवासियों हेतु आरक्षित कई सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है. ऐसे में अब आदिवासी बहूल छत्तीसगढ राज्य में किसी आदिवासी विधायक को मुख्यमंत्री बनाए जाने हेतु भाजपा पर काफी अधिक दबाव बना हुआ है.
बता दें कि, वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा ने मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ में एसटी आरक्षित 76 में से 19 तथा राजस्थान की 25 में से 8 सीटे ही जीती थी. वहीं 2023 में पार्टी को काफी फायदा हुआ है और भाजपा ने तीनों राज्यों में 56 आदिवासी आरक्षित सीटे जीती है. जिसके तहत भाजपा ने मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ में एसटी की 44 तथा राजस्थान में 12 सीटों पर जीत दर्ज किया है. ऐसे में अब यह मांग जोर पकड रही है कि, 3 में से किसी 1 राज्य में अथवा विशेष तौर पर छत्तीसगढ में भाजपा द्वारा किसी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री का पद दिया जाए.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मूर्मू को राष्ट्रपति बनाए जाने के चलते भाजपा को काफी बडा लाभ हुआ. जिसकी बदौलत छत्तीसगढ के आदिवासी बहुल 19 सीटोें में से 17 सीटे भाजपा ने जीती. जबकि पीछली बार भाजपा को केवल 3 सीटों पर ही जीत मिली थी. आदिवासी बहूल सीटों पर शानदार जीत मिलने के चलते ही भाजपा के लिए ही सत्ता का गलीयारा खुल गया है. ऐसे में किसी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाए जाने हेतु पार्टी पर दबाव बन रहा है. कई लोगों का मानना है कि, केंद्रीय आदिवासी मंत्रालय की राज्यमंत्री रेणुकासिंह सरुता को विधानसभा में उम्मीदवारी दिए जाने का भाजपा को भरपूर लाभ हुआ. चूंकि रेणुकासिंह भी आदिवासी है. ऐसे में उनके नाम को भी मुख्यमंत्री पद के लिए रेस में बताया जा रहा है.