मुंबई/नई दिल्ली/दि.8– विधान परिषद चुनाव में सात विधायकों की क्रॉस वोटिंग, एकनाथ शिंदे सरकार के विश्वासमत प्रस्ताव के दौैरान 12 विधायकों की गैर मौजूदगी और ठाकरे कैबिनेट में औरंगाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव पर कांग्रेसी मंत्रियों की चुप्पी को पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है. कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ लंबी मंत्रणा की है. राजधानी दिल्ली में हुई इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल औड़ नाना पटोले की मौजूदगी रही. पटोले ने कहा कि क्रास वोटिंग और विश्वास मत पर मतदान के वक्त पार्टी विधायकों की गैर हाजिरी पर कार्रवाई होगी. इसके लिए पार्टी पर्यवेक्षक भेजेगी.
गौरतलब है कि बीते 20 जून को विधान परिषद चुनाव में पार्टी विधायकों की क्रास वोटिंग के चलते कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे को पराजय का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में पार्टी के दलित नेता चंद्रकांत हंडोरे पहली पसंद के उम्मीदवार थे. इसके बावजूद वे हार गए थे.
* विश्वास मत के दौरान 12 विधायक थे अनुपस्थित– विगत 4 जुलाई को विधानसभा में शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान के वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण सहित पार्टी के 12 विधायक गैर मौजूद थे. चव्हाण के अलावा प्रणिती शिंदे, जीतेश अंतापुरकर,विजय वडेट्टीवार,जिशान सिद्दीकी,धीरज देशमुख, विक्रम सिह सावंत,राजू अवाले,माधवराव जावालकर,कुणाल पाटील, शिरिष चौधरी व मोहन हंबर्डे भी अनुपस्थित थे.
*औरंगाबाद नामांतरण पर कांग्रेस हाईकमान खफा– ठाकरे मंत्रिमंडल की अंतिम बैठक में औरंगाबाद का नाम बदल कर संभाजी नगर औड़ उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने का फैसला लिया गया था. पार्टी नेतृत्व के निर्देश के बावजूद बैठक में कांग्रेस के मंत्रियों ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया था और आघाड़ी सरकार की कैबिनेट ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया था. इसे लेकर भी पार्टी नाराज है.