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दो गज की दूरी पर भी हो सकता है कोरोना

जानें क्या कहती है नई सीडीसी गाइडलाइन्स

 नई दिल्ली/दि. 9 – कोरोना (Corona) से लड़ने के लिए दो गज की दूरी यानि छ: फीट की दूरी पर रहना प्रोटोकॉल के तहत जरूरी बताया जाता है. लेकिन नए सीडीसी गाइडलाइन्स (New CDC Guideline) में छ: फीट की दूरी को कोरोना से बचने के लिए पर्याप्त नहीं बताया गया है. हम आपको बता दें कि सीडीसी अमेरिका की नामचीन संस्था है जिसे सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के नाम से जाना जाता है और यह संस्था माहमारी और गंभीर रोगों पर बेहतरीन रिसर्च के लिए जानी जाती है. दरअसल अमेरिका की सीडीसी अपने पुराने गाइडलाइन्स से अब अलग हटकर बात करने को मजबूर हो गई है.
पहले ये कहती थी कि ज्यादातर संक्रमण नजदीक के लोगों से (Close Contact) और सतह को छूने (Surface Transmission) से होता है. लेकिन सीडीसी के नए गाइडलाइन्स के मुताबिक एयरबॉर्न वायरस एक मीटर की दूरी पर भी दूसरे शख्स को संक्रमित कर सकता है. ताजा शोध में पता चला है कि वायरस मिस्ट पार्टिकल के रूप में ट्रांसमिट होने के साथ-साथ प्रसार करता है. ऐसा तब होता है जब संक्रमित व्यक्ति द्वारा सांस के जरिए रेस्पिरेट्री फ्लूड बाहर छोड़ा जाता है. हवा में सांस के द्वारा छोड़ा जाने वाला वायरस मिस्ट पार्टिकल के रूप में काफी समय तक तैरता रहता है. सीडीसी के शोध में बताया गया है कि मुख्यतौर पर लोग संक्रमित रेस्पिरेट्री फ्लूड से होते हैं जिसमें संक्रमण करने की क्षमता रखने वाला वायरस मौजूद रहता है. बंद चारदिवारी और खराब वेंटिलेशन वाली जगहों पर एरोसॉल हवा में काफी देर तक तैरता रहता है (Aerosol Remains Suspended In The Air For Longer Period Of Time) और एक मीटर से ज्यादा दूरी तक हवा में तैरकर ये लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है. इसलिए सीडीसी गाइडलाइन्स उन नियमों को इंडोर्स करता है जिसके तहत क्लोज्ड परिवार में लोगों को मास्क के साथ-साथ दूरियां और प्रॉपर वेंटिलेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए. सीडीसी ने पहले एरोसॉल ट्रांसमीशन थ्योरी को ज्यादा महत्ता नहीं दी थी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इससे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ पर्सनल डिस्टेंसिंग के पालन का अनिवार्य रूप से खतरा था. सीडीसी के ताजा गाइडलाइंस से कई चीजों के मायने बदल सकते हैं. उदाहरण के तौर परिवार के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बाहर मिलना ज्यादा सुरक्षित है, खास तौर पर उन लोगों के लिए जो प्रॉपर वेंटिलेशन वाली जगहों पर नहीं रहते हैं. वहीं युएस के कॉलेज और स्कूलों में 3 फीट की दूरी रखकर पढ़ाई शुरू करने की बातों पर राय अलग होंगी. इस गाइडलाइंस के बाद अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनियां की सोच और व्यवहार में कई परिवर्तन देखा जा सकता है. ज़ाहिर है जिस कोरोना के वायरस को एक्सपर्टस मोटू वायरस तक करार दे रहे थे यानि की साइज और आकार में वह इतना बड़ा माना जाता था कि उसका छ: फीट या दो गज की दूरी तय करना उसके लिए आसान नहीं माना जाता था. लेकिन वही वायरस म्यूटेट कर इतना छोटा हो गया है कि काफी देर तक हवा में रहकर वो 1 मीटर की दूरी का सफर तय करने में सक्षम हो गया है. ऐसे में कोरोना से लड़ाई के तौर तरीकों में परिवर्तन करना बेहद अहम हो गया है और सीडीसी ने नए गाइलाइंस में इन्हीं बातों की ओर साफ-साफ इशारा किया है.

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