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कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट है ‘चिंताजनक’

बन सकता एक नई चुनौती- स्वास्थ्य मंत्रालय

नई दिल्ली/दि. 22 – डेल्टा प्लस वेरिएंट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ यानी ‘चिंताजनक’ श्रेणी में डाल दिया है. ऐसे में ये वेरिएंट आने वाले समय में नई चुनौती बन सकता है. दरअसल वायरस के किसी भी वेरिएंट को चिंताजनक तब बताया जाता है, जब वैज्ञानिक मानते हैं कि वह अधिक संक्रामक है और गंभीर रूप से बीमार कर सकता है.
डेल्टा प्लस, जिसे ‘एवाई.1’ वेरिएंट या बी.1.617.2.1 के रूप में भी जाना जाता है, उसे कोविड-19 का सबसे खतरनाक वेरिएंट माना जाता है. देश के तीन राज्य महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं.
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना का ‘डेल्टा’ वेरिएंट 80 देशों में पाया गया है. डेल्टा प्लस वेरिएंट अभी 9 देशों में पाया गया है. भारत में अब तक डेल्टा प्लस वेरिएंट के 22 मामले मिले हैं. महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश से ये मामले सामने आए हैं. इन राज्यों को हमने एडवाइजरी जारी की है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि भारत की दोनों कोरोना वैक्सीन Covishield और Covaxin ‘डेल्टा’ वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं. हालांकि ये वैक्सीन्स किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी टाइटर्स का उत्पादन करती हैं, इसको लेकर हम जल्द ही जानकारी साझा करेंगे.
कोरोना के ‘डेल्टा’ वेरिएंट से बने इस नए वेरिएंट को लेकर वायरोलॉजिस्ट चिंतित हैं और इसके ​अध्ययन पर जोर दे रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि कोरोना के नया वेरिएंट पिछले ​डेल्टा वेरिएंट से काफी करीब है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि AY.1 कोरोना वायरस का एक वेरिएंट मौजूद है जो कि कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट का वि​कसित रूप है.

  • क्या है डेल्टा प्लस वेरिएंट?

कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ (Delta Plus) डेल्टा वेरिएंट का विकसित रूप है. इससे पहले डेल्टा वेरिएंट मिला था. कोरोना की दूसरी लहर में अधिकतर लोग इसी डेल्टा वेरिएंट का शिकार हुए थे. वैज्ञानिकों के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट ही विकसित होकर डेल्टा प्लस बन गया है. केंद्र सरकार की इस पर लगातार नजर बनी हुई है.
सरकार से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में नए वेरिएंट के संक्रमण को लेकर अभी अध्ययन किया जा रहा है. सरकार की ओर से कहा गया है कि ‘म्यूटेशन एक जैविक तथ्य है और हमें इससे बचाव के तरीके अपनाने होंगे. हमें तमाम सावधानिंया बरतने की जरूरत है, ​ताकि इसे फैलने से रोका जा सके.

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